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दिवाली 2025: कुल्लू के कुंगश में Unique देव-दानव युद्ध ने मन जीता, भक्तिभाव और Energy से सराबोर रहा मेला

कुल्लू: कुंगश में दिवाली पर देव-दानवों के बीच हुआ प्रतीकात्मक युद्ध, भक्तिमय माहौल में झूमे लोग

कुल्लू, 22 अक्तूबर।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला का आनी उपमंडल स्थित कुंगश गांव इस बार भी अपनी अनोखी परंपरा के लिए चर्चा में रहा। जहां देशभर में दिवाली रोशनी, पटाखों और मिठाइयों के साथ मनाई गई, वहीं कुंगश में इस पर्व का उत्सव देव-दानवों के बीच प्रतीकात्मक युद्ध और भक्ति-संगीत के संगम के रूप में मनाया गया। यहां की दिवाली परंपरा सदियों पुरानी है और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक मानी जाती है।

देवताओं और दानवों का दिवाली युद्ध

कुंगश गांव के कुंगशी महादेव मंदिर परिसर में सोमवार की रात से ही दिवाली का उल्लास शुरू हो गया था। स्थानीय लोग दीप जलाकर मंदिर परिसर में जुटे, जहां देवी-देवताओं की स्तुति में भक्ति गीतों का आयोजन हुआ। मंदिर प्रांगण में देर रात तक पारंपरिक नाटी नृत्य किया गया, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।

अगले दिन मंगलवार को दिवाली मेले का आयोजन किया गया। मेले में क्षेत्र के लोग पारंपरिक परिधान पहनकर पहुंचे और देवता पनेऊई नाग की अगुवाई में पूजा-अर्चना की। देवता के कारदार माल सिंह और पुरोहित चंद्र प्रकाश शर्मा ने बताया कि कुंगश की यह दिवाली परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है और इसका उद्देश्य अच्छाई की बुराई पर जीत का संदेश देना है।

बगड़ी की घास से तैयार हुआ युद्ध का रस्सा

इस परंपरा की सबसे खास झलक रही देव-दानव युद्ध की रस्म, जिसमें बगड़ी की घास से एक विशाल रस्सा (रस्सी) तैयार किया गया। ग्रामीण दो दलों में बंटे — एक दल देवताओं का प्रतीक और दूसरा दानवों का। दोनों दलों ने रस्साकशी के माध्यम से युद्ध का प्रतीकात्मक दृश्य प्रस्तुत किया। इस दृश्य में उमंग, श्रद्धा और ऊर्जा का अद्भुत समावेश दिखाई दिया। यह दिवाली परंपरा न केवल मनोरंजक है बल्कि समाज में एकता और धर्म की विजय का प्रतीक भी बनती है।

भक्ति और व्यापार का संगम

दिवाली मेले में स्थानीय व्यापारियों, हलवाइयों और बाहर से आए दुकानदारों ने अपने स्टॉल लगाए। मिठाइयों, खिलौनों, आभूषणों और परंपरागत वस्त्रों की बिक्री ने मेले में रौनक बढ़ा दी। ग्रामीणों ने दीप प्रज्वलित कर अपने घरों को सजाया और देवताओं की आराधना के साथ दिवाली का पर्व मनाया।

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इस मौके पर कुंगश पंचायत के प्रधान राकेश ठाकुर, लच्छी राम, टेक चंद, राम चंद और सुरेश ठाकुर सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

आनी उपमंडल में चारों ओर दिवाली की रौनक

कुंगश के अलावा आनी उपमंडल के बिनन, डिगेढ़, ओलवा, कमांद और घोलट गांवों में भी दिवाली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। ग्रामीणों ने अपने आराध्य देवताओं की अगुवाई में शोभायात्राएं निकालीं, मंदिरों में दीपक जलाए और पारंपरिक नाटी डालकर आनंद मनाया।

संस्कृति और श्रद्धा की मिसाल

कुंगश की यह दिवाली परंपरा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि हिमाचली लोकसंस्कृति, आस्था और सामुदायिक एकता की जीवंत मिसाल है। यह पर्व हर वर्ष यह संदेश देता है कि अच्छाई अंततः बुराई पर विजय प्राप्त करती है, और सच्चे उत्सव का अर्थ केवल रोशनी नहीं बल्कि भक्ति और एकता की ज्योति है।

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