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हिमाचल में पर्यटन और स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली सीएम स्टार्टअप योजना, जानें Top 5 Powerful Benefits

पर्यटन और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्टअप योजना को मंजूरी

शिमला : हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के पर्यटन क्षेत्र को नई दिशा देने और युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्टअप योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य नई पर्यटन इकाइयां स्थापित करना और मौजूदा होम स्टे इकाइयों का विस्तार करना है। प्रदेश सरकार का मानना है कि इस योजना से न केवल राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं को भी रोजगार और व्यवसाय के अवसर प्राप्त होंगे।

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के अंतर्गत होम स्टे और पर्यटन आधारित उद्यमियों को ऋण पर ब्याज सब्सिडी दी जाएगी। शहरी क्षेत्रों में तीन प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्रों में चार प्रतिशत और जनजातीय क्षेत्रों में पांच प्रतिशत तक ब्याज सब्सिडी मिलेगी। यह सुविधा अधिकतम तीन वर्षों तक उपलब्ध रहेगी और अधिकतम दो करोड़ रुपये तक के ऋण पर लागू होगी। योजना का लाभ केवल बोनाफाइड हिमाचलियों को मिलेगा, जिससे स्थानीय लोगों को सीधे फायदा होगा।

होम स्टे से बढ़ेगा पर्यटन

सरकार का मानना है कि होम स्टे पर्यटन के लिए किफायती और आकर्षक विकल्प है। जहां एक ओर महंगे होटल हर किसी के बजट में फिट नहीं बैठते, वहीं होम स्टे यात्रियों को स्थानीय परंपराओं, व्यंजनों और रीति-रिवाजों का अनुभव कराते हैं। इससे न केवल पर्यटक लंबे समय तक ग्रामीण क्षेत्रों में ठहरते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों की आमदनी भी बढ़ती है।

पर्यटन से सीधे तौर पर जुड़े इन होम स्टे के माध्यम से राज्य की संस्कृति और जीवनशैली को बढ़ावा मिलेगा। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में पर्यटन को मजबूत करने के लिए बनाई गई है। इससे छोटे गाँव और कस्बे भी पर्यटकों के नक्शे पर आएंगे, जिससे स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार और आय के स्रोत बढ़ेंगे।

पर्यटन और अर्थव्यवस्था में योगदान

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन हमेशा एक अहम स्तंभ रहा है। प्रदेश का स्वच्छ वातावरण, नदियाँ, जंगल, धार्मिक स्थल और सुरम्य घाटियाँ हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इकोनोमिक सर्वे 2024-25 के अनुसार, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र का योगदान राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.78 प्रतिशत है। सरकार का मानना है कि मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्टअप योजना के लागू होने से यह योगदान और अधिक बढ़ेगा।

पर्यटन से जुड़े उद्यमों को औपचारिक रूप देने और गुणवत्ता मानकों में सुधार करने पर भी इस योजना का विशेष ध्यान है। स्टार्टअप्स के माध्यम से आतिथ्य सेवाओं में आधुनिक तकनीक, पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी।

सतत विकास और पर्यटन

प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह योजना सतत पर्यटन को ध्यान में रखकर बनाई गई है। यानी पर्यटन गतिविधियों से पर्यावरण को नुकसान न हो और स्थानीय पारिस्थितिकी संरक्षित रहे। सरकार चाहती है कि निजी उद्यमी पर्यटन अवसंरचना का विकास करें, लेकिन इसका स्वरूप पर्यावरण हितैषी हो।

स्वच्छ पर्यावरण और प्राकृतिक सौंदर्य हिमाचल की असली पहचान है। यदि पर्यटन योजनाओं के क्रियान्वयन में पर्यावरण का ध्यान रखा गया, तो इससे आने वाली पीढ़ियों को भी वही प्राकृतिक धरोहर मिलेगी जो आज तक पर्यटकों को आकर्षित करती रही है।

स्थानीय समुदायों को मिलेगा लाभ

इस योजना से स्थानीय समुदायों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ होगा। पर्यटक जब होम स्टे में ठहरेंगे, तो वे स्थानीय भोजन, हस्तशिल्प और पारंपरिक उत्पादों की ओर भी आकर्षित होंगे। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा।

योजना का एक अन्य सकारात्मक पहलू यह है कि यह युवा उद्यमियों को स्टार्टअप संस्कृति से जोड़ेगी। पर्यटन आधारित स्टार्टअप्स के माध्यम से न केवल रोजगार सृजित होंगे, बल्कि नई सोच और नवाचार को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

निष्कर्ष
मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्टअप योजना हिमाचल प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र के लिए एक दूरगामी कदम है। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं और समुदायों को भी स्वरोजगार का अवसर मिलेगा। पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक धरोहर के संवर्धन और ग्रामीण इलाकों के आर्थिक विकास की दृष्टि से यह योजना बेहद महत्त्वपूर्ण है।

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पर्यटन हिमाचल की जीवनरेखा है और इस नई योजना से यह जीवनरेखा और मजबूत होगी। राज्य सरकार का यह कदम न केवल आज के लिए बल्कि आने वाले वर्षों में भी पर्यटन को नई ऊँचाइयों तक ले जाने वाला साबित होगा।

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