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Breaking Crisis: हिमाचल प्रदेश बारिश और भूस्खलन से 6 मौतें, 1337 सड़कें ठप उत्तराखंड में भी red alert

हिमाचल प्रदेश बारिश और भूस्खलन से मंडी में जमींदोज मकान और राहत कार्य में जुटी टीमें

हिमाचल प्रदेश बारिश और भूस्खलन से तबाही, मंडी में छह की मौत

समाचार विस्तार :

मंडी/शिमला: हिमाचल प्रदेश बारिश और भूस्खलन की दोहरी मार झेल रहा है। लगातार हो रही वर्षा ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है और कई जिलों में आपदा जैसे हालात बन गए हैं। सबसे बड़ा हादसा मंडी जिले के सुंदरनगर में हुआ, जहां भारी हिमाचल प्रदेश बारिश और भूस्खलन से दो मकान पूरी तरह जमींदोज हो गए। इस हादसे में छह लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन लगातार हो रही बारिश बचाव दल के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।

प्रदेश सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में हिमाचल में कुल 1,337 सड़कें बंद हैं। इनमें से 282 मंडी, 255 शिमला, 239 चंबा, 205 कुल्लू और 140 सिरमौर जिले में अवरुद्ध हैं। सबसे गंभीर स्थिति मंडी जिले की है, जहां बारिश और भूस्खलन ने सैकड़ों गांवों का संपर्क टूट दिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग भी बंद पड़े हैं, जिनमें एनएच-3 (मंडी-धर्मपुर मार्ग), एनएच-305 (औट-सैंज), एनएच-5 (पुराना हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग) और एनएच-707 (हाटकोटी-पांवटा मार्ग) प्रमुख हैं।

मौसम विभाग का अलर्ट

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हिमाचल प्रदेश में 8 सितंबर तक मौसम खराब रहने का पूर्वानुमान जताया है। कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और किन्नौर जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जबकि ऊना और बिलासपुर में येलो अलर्ट जारी है। मौसम विभाग ने साफ तौर पर कहा है कि आगामी दिनों में हिमाचल प्रदेश बारिश और भूस्खलन से राहत मिलना मुश्किल है। यही वजह है कि प्रशासन ने शिमला, सोलन, सिरमौर, कांगड़ा, बिलासपुर और कुल्लू के स्कूल-कॉलेज बंद रखने के आदेश दिए हैं।

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हिमाचल प्रदेश बारिश और भूस्खलन से जनजीवन अस्त-व्यस्त

लोगों का कहना है कि इस बार की बरसात ने दशकों बाद सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं, घरों में पानी घुस गया है और कई जगहों पर मवेशियों की मौत की खबरें भी सामने आ रही हैं। कई इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति भी बाधित हो गई है। ऐसे हालातों में हिमाचल प्रदेश बारिश और भूस्खलन सिर्फ प्राकृतिक आपदा ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संकट भी साबित हो रहा है।

आपदा प्रबंधन की चुनौती

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) लगातार स्थिति पर नजर रख रहा है। हेल्पलाइन नंबर सक्रिय कर दिए गए हैं और एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं। फिर भी, खराब मौसम और लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते कई जगहों पर पहुंच पाना संभव नहीं हो रहा है। खासकर मंडी और कुल्लू के दुर्गम क्षेत्रों में राहत कार्य बाधित हो रहे हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और नदियों-नालों के किनारे न जाएं।

उत्तराखंड की स्थिति भी गंभीर

सिर्फ हिमाचल ही नहीं, पड़ोसी राज्य उत्तराखंड भी इस समय मूसलाधार बारिश की चपेट में है। मौसम विभाग ने देहरादून और नैनीताल समेत कई जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, पौड़ी, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी और उत्तरकाशी में मध्यम से उच्च आकस्मिक बाढ़ की संभावना जताई गई है। गंगा और उसकी सहायक नदियां अलकनंदा व मंदाकिनी उफान पर हैं। हल्द्वानी में गौला नदी खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जबकि ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।

निष्कर्ष

इस समय हिमाचल प्रदेश बारिश और भूस्खलन से निपटना प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। लगातार हो रही बारिश ने जहां आम जनजीवन को प्रभावित किया है, वहीं राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन पर भी गंभीर असर पड़ा है। आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है, इसलिए सतर्कता और सावधानी ही एकमात्र समाधान है। प्रशासन और मौसम विभाग की एडवाइजरी का पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

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