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हिमाचल के गांवों में पानी का बिल और दरें अब पंचायतें तय करेंगी, सरकार ने दिए पूर्ण अधिकार

हिमाचल पंचायतें पानी का बिल और दरें तय करेंगी

हिमाचल प्रदेश में पंचायतों को पानी का बिल और दरें तय करने का अधिकार, सरकार का हस्तक्षेप खत्म

पंचायतें तय करेंगी पानी की दरें

बिल की राशि से होगा रखरखाव

जल शक्ति विभाग का हस्तक्षेप खत्म

पानी की कमी पर पंचायत की जवाबदेही

354 करोड़ की ग्रांट से योजनाओं को मजबूती, जल स्रोतों की जियो टैगिंग और सफाई

शिमला: हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की सप्लाई और उससे जुड़े आर्थिक प्रबंधन को लेकर प्रदेश सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब गांवों में पानी का बिल और दरें तय करने का पूरा अधिकार पंचायतों के पास होगा। इस व्यवस्था में प्रदेश सरकार का कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं रहेगा।

ग्राम सभा से प्रस्ताव होगा अनिवार्य
सरकार के नए निर्देशों के अनुसार, पंचायतें पानी की दरें तभी तय कर पाएंगी, जब यह प्रस्ताव ग्राम सभा में पेश कर पारित किया जाएगा। प्रस्ताव पारित होने के बाद पंचायतें मासिक पानी का बिल जारी कर सकेंगी। यह निर्णय पूरी तरह से पंचायत की स्वायत्तता को बढ़ावा देगा।

पानी की आय पंचायत के पास रहेगी
पानी के बिल से प्राप्त राशि सीधे पंचायतों के खाते में जाएगी। इसी राशि से गांव में पेयजल योजनाओं का रखरखाव, मरम्मत और संचालन किया जाएगा। इससे पंचायतों के पास आय का स्थायी स्रोत उपलब्ध होगा और वे स्थानीय जरूरतों के अनुसार फैसले ले सकेंगी।

जल शक्ति विभाग का हस्तक्षेप खत्म
ग्रामीण क्षेत्रों में अब पानी की सप्लाई और रखरखाव में जल शक्ति विभाग का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। इसके स्थान पर पंचायतें ही यह जिम्मेदारी संभालेंगी। पानी की सप्लाई देने वाले कर्मचारियों को पंचायत प्रधान से हस्ताक्षर लेकर यह प्रमाणित करना होगा कि पानी की आपूर्ति कब और कहां की गई।

पानी की कमी पर पंचायत जिम्मेदार
यदि किसी वार्ड में पानी की सप्लाई नहीं होती है, तो उसका समाधान भी पंचायत को ही करना होगा। इससे जवाबदेही और पारदर्शिता दोनों बढ़ेंगी।

354 करोड़ की ग्रांट जारी होगी
प्रदेश सरकार ने पंचायतों के लिए 354 करोड़ रुपये जारी करने की योजना बनाई है, जिससे पेयजल योजनाओं का संचालन, मरम्मत और जल स्रोतों के संरक्षण का कार्य किया जाएगा। जल शक्ति विभाग में कर्मचारियों की कमी को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

जल स्रोतों का संरक्षण और जियो टैगिंग
सरकार पंचायतों को जल स्रोतों के संरक्षण और प्रबंधन में भी अधिक अधिकार दे रही है। जल स्तर की निगरानी के लिए सभी स्रोतों की जियो टैगिंग की जाएगी। इससे पानी की उपलब्धता और स्थिति पर नियमित नज़र रखी जा सकेगी।

जल रक्षक और बेलदार की जिम्मेदारी
योजना के तहत जल रक्षक टैंकों की सफाई करेंगे, जबकि बेलदार या कीमैन पानी की सप्लाई छोड़ने का काम देखेंगे।

ग्रामीणों से बिल वसूली का अधिकार
पंचायतें मासिक बिल जारी कर पानी से आय का स्रोत बढ़ा सकती हैं। यह बिल ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करने के बाद ही तय होगा। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि यह कदम पंचायतों की आर्थिक स्वायत्तता और जवाबदेही दोनों को मजबूत करेगा।

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