शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बैठक के दौरान पुलिस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और स्वास्थ्य विभागों ने नशे के खतरे से निपटने के लिए चल रही कार्रवाई और आगामी योजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुतियां दीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता की नीति अपनाई है। सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि राज्य के युवाओं को नशे की लत से बचाया जाए और इसके लिए नशीली दवाओं के नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त किया जाएगा।
कैबिनेट के मुख्य निर्णय:
पुलिस भर्ती के दौरान डोप टेस्ट अनिवार्य
कैबिनेट ने फैसला लिया कि हिमाचल प्रदेश में पुलिस भर्ती के समय उम्मीदवारों का डोप परीक्षण अनिवार्य होगा, विशेष रूप से ‘चिट्टा’ जैसे नशे के लिए।
नए सरकारी कर्मचारियों को देना होगा शपथ पत्र
अब सभी नए सरकारी कर्मचारियों को यह शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वे नशीली दवाओं का सेवन नहीं करते हैं।
नशे में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई
मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्पष्ट किया कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी नशीली दवाओं से संबंधित गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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