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Sirmaur News : पशुचारे के दामों में उछाल से पशुपालक हुए हताश। मवेशियों को सड़कों पर छोड़ना बना मजबूरी।

दैनिक जनवार्ता ब्यूरो
कालाअंब (सिरमौर) 30 अक्तूबर। कालाअंब और आसपास के क्षेत्रों में पशुपालकों को चारे की समस्या से जूझना पड़ रहा है। तूड़ी और हरे चारे के दाम कई गुना बढ़ने से पशुपालकों को पशुपालन में दिक्कतें आ रही हैं। चारे के दाम लगभग दोगुने होने से पशुपालकों का पशुपालन व्यवसाय से मोहभंग होने लगा है। चारे की समस्या के चलते उन्हें अपने मवेशियों को सड़कों या जंगलों में छोड़ना पड़ रहा है। ये मवेशी राहगीरों के लिए भी परेशानी का सबब बन रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले तीन महीने से हरे और सूखे चारे की समस्या के चलते दुधारू पशुओं का दूध भी सूख गया है। एक ओर जहां हरे चारे के दाम दोगुने हुए, वहीं सूखे चारे के रूप में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली तूड़ी के दामों में भी पहले की अपेक्षा काफी वृद्धि हुई है। नारायणगढ़ की चारा मंडी में हरा चारा पहले 250 रुपये क्विंटल मिल रहा था। अब 350-400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मिल रहा है। दूसरे तूड़ी के दाम पहले 700-800 रुपये प्रति क्विंटल थे, जो बढ़कर 1100-1300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। बता दें कि प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब सहित आसपास के कई ग्रामीण क्षेत्रों में तूड़ी की आपूर्ति हरियाणा राज्य से की जाती है। लेकिन खेती में प्रयोग हो रहे आधुनिक कृषि यंत्रों के चलते तूड़ी (भूसा) का उत्पादन बहुत कम हो रहा है। इससे तूड़ी की समस्या पैदा हो रही है। पशुपालकों ने बताया कि हरा चारा उनको दूर दराज की चारा मंडियों से खरीदना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें आने जाने में 30 किलोमीटर का सफर करना पड़ रहा है, जिससे हरा चारा भी महंगा पड़ रहा है। हालांकि कुछ पशुपालक अपने खेतों में भी चारा उगा रहे हैं लेकिन ये नाकाफी रहता है। इसके विपरीत दूध का उत्पादन अपने गुजारे लायक भी नहीं हो रहा है। चारा मंडी के विक्रेता मनोहर दसौंधी ने बताया कि किसान अपने पशुओं के लिए चारा उगाते हैं। इसी चारे में से ही नगद राशि के लिए कुछ चारा मंडी में बेच रहे हैं। लिहाज़ा चारे की कीमत चारे की आमद पर निर्भर करती है, कम आमद और खपत ज्यादा होने पर अक्सर भाव बढ़ जाते हैं।