🕉️ आज का पंचांग एवं प्रेरक विचार — 9 नवम्बर 2025, रविवार
🌞 पंचांग के अनुसार आज का दिन
आज विक्रम संवत् 2082, दक्षिणायण, हेमंत ऋतु, मार्गशीर्ष मास, कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि (जो रात्रि 1:54 तक रहेगी, तत्पश्चात षष्ठी प्रारंभ होगी) का पावन दिन है।
आज का नक्षत्र आर्द्रा है, जो रात्रि 8:04 बजे तक रहेगा, इसके बाद पुनर्वसु नक्षत्र प्रारंभ होगा।
योग आज दोपहर 3:02 बजे तक सिद्ध, तत्पश्चात साध्य योग रहेगा।
राहुकाल आज शाम 4:21 से 5:44 बजे तक रहेगा, अतः इस दौरान कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करने से बचना चाहिए।
सूर्योदय प्रातः 6:37 बजे तथा सूर्यास्त सायं 5:44 बजे (उज्जैन मानक समयानुसार) होगा।
आज दिशा शूल पश्चिम दिशा में है, अतः यात्रा उसी दिशा में टालना शुभ रहेगा।
ब्रह्ममुहूर्त प्रातः 4:54 से 5:45 बजे तक रहेगा, जो साधना, जप एवं ध्यान के लिए अत्यंत श्रेष्ठ समय माना गया है।
अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:48 से 12:33 बजे तक रहेगा, जो किसी भी कार्यारंभ के लिए शुभ समय है।
निशिता मुहूर्त रात्रि 11:45 से 12:37 बजे (10 नवम्बर तक) रहेगा।
🌿 विशेष:
ब्रह्मवैवर्त पुराण (ब्रह्म खंड 27.29-34) के अनुसार पंचमी तिथि को बेल का सेवन वर्जित माना गया है। इस दिन बेल खाने से कलंक लगता है।
🧘♀️ आज का चिंतन — बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है?
जीवन में सफलता और शांति, दोनों का आधार है “बुद्धि” — अर्थात विवेकपूर्ण सोचने और सही निर्णय लेने की क्षमता।
शास्त्र कहते हैं –
“बुद्धिः शोकेन नश्यति”
अर्थात् जो व्यक्ति अतीत की बातों को लेकर निरंतर शोक या चिंता में रहता है, उसकी बुद्धि धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है।
हमारा चिंतन ही हमारी बुद्धि को या तो नष्ट करता है, या उसे प्रखर बनाता है।
जो व्यक्ति अतीत के दुखों को ढोता है, उसकी सोच नकारात्मक होती जाती है।
और जो व्यक्ति केवल भविष्य के स्वप्नों में खोया रहता है, उसकी बुद्धि भ्रमित हो जाती है।
लेकिन जो व्यक्ति वर्तमान क्षण में “मैं कौन हूँ?” इस आत्मचिंतन में स्थित होता है, उसकी बुद्धि दिव्य बन जाती है।
🔹 बुद्धि को विकसित करने के चार सरल उपाय
शास्त्रों का पठन:
धर्मग्रंथों का अध्ययन व्यक्ति को विवेक देता है। इससे जीवन के उद्देश्य का ज्ञान होता है।
भगवन्नाम-जप एवं ध्यान:
नियमित नामस्मरण और ध्यान मन को स्थिर करते हैं, जिससे निर्णय क्षमता बढ़ती है।
पवित्र स्थलों की यात्रा:
आश्रम, मंदिर या सत्संग जैसे स्थानों पर जाने से मन की शुद्धि होती है।
संत-महापुरुषों का सत्संग:
ज्ञानी महापुरुषों की संगति में रहकर व्यक्ति के भीतर आत्मिक शक्ति और विवेक जागृत होता है।
🧠 बुद्धि और संतुलन का रहस्य
जो व्यक्ति छोटी-छोटी बातों में दुखी या अत्यधिक प्रसन्न हो जाता है, वह वास्तव में अपरिपक्व बुद्धि वाला होता है।
जैसे बच्चा चॉकलेट पाकर खुश और छिन जाने पर रो पड़ता है, वैसे ही संसार की क्षणिक बातों में उलझे व्यक्ति की बुद्धि स्थिर नहीं रहती।
सच्चा ज्ञानी वही है जो सुख-दुःख, लाभ-हानि, मान-अपमान में समभाव रखता है।
“स्थितप्रज्ञस्य का भाषा, समाधिस्थस्य केशव” —
(गीता 2.54)
जो व्यक्ति हर परिस्थिति में समान बना रहता है, वही बुद्धिमान कहलाता है।
🌺 संक्षेप में
आज का दिन साधना, आत्मचिंतन और विवेक-विकास के लिए अनुकूल है।
सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर, किसी ज्ञानी महात्मा के वचनों का मनन करें।
बुद्धि का विकास केवल पढ़ाई या अनुभव से नहीं, बल्कि आत्मसाक्षात्कार और संतुलन से होता है।
🕉️ शुभ दिन — शुभ चिंतन — शुभ कर्म!
(विशेष लेख : दैनिक जनवार्ता)
