औद्योगिक क्षेत्र में डेढ़ दशक पहले बनी उपयोगहीन वर्षा शालिका बनी सफेद हाथी
नहीं हो रहा कोई उपयोग
एस. के. गुप्ता
नाहन (सिरमौर)। औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में विकास कार्यों की अनदेखी एक बार फिर सुर्खियों में है। कालाअंब–पांवटा साहिब नेशनल हाईवे-07 पर मैनथापल इलाके में करीब डेढ़ दशक पहले त्रिलोकपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (SADA) के सौजन्य से बनाई गई एक उपयोगहीन वर्षा शालिका अब सफेद हाथी बनकर रह गई है। इस ढांचे का उद्देश्य तो यात्रियों को सुविधा देना था, मगर सालों बाद भी इसका उपयोग नहीं हो सका।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उपयोगहीन वर्षा शालिका बनने के पीछे प्रशासनिक उदासीनता और योजना की सही निगरानी का अभाव है। लोगों ने बताया कि शालिका का निर्माण इस मकसद से किया गया था कि बारिश या धूप के दौरान यात्री सुरक्षित ठहर सकें। लेकिन यहां न तो किसी बस का ठहराव तय है, न ही कोई यात्री इस ढांचे में रुकता है। अब यह उपयोगहीन वर्षा शालिका जर्जर हालत में पहुंच चुकी है, और इसके आसपास की सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह बदहाल है।
Also Read : प्रधान मंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की विस्तृत जानकारी
क्षेत्र के लोगों में मनोज कुमार, रविंद्र, अशोक, जितेंद्र, विनोद, अनमोल, मोहित और शिव राम ने बताया कि वर्ष 2010 के आसपास बनी यह संरचना शुरुआत से ही गैर-प्रभावी रही। उनका कहना है कि यदि यह उपयोगहीन वर्षा शालिका किसी ऐसे स्थान पर होती जहां यात्रियों की आवाजाही अधिक है, तो इसका लाभ सैकड़ों लोगों को मिल सकता था। इसके विपरीत, कालाअंब मुख्य चौक पर प्रतिदिन सैकड़ों लोग बसों का इंतजार करते हैं, मगर वहां न तो कोई वर्षा शालिका है और न ही बैठने की व्यवस्था।
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि प्रशासन ने जिस सोच के साथ इस वर्षा शालिका का निर्माण करवाया था, वह जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाती। यात्रियों के अनुसार, हर मानसून में मुख्य चौक पर लोग भीगते हैं और गर्मियों में तपती धूप में खड़े रहने को मजबूर होते हैं, जबकि मैनथापल में बनी उपयोगहीन वर्षा शालिका बिना किसी उद्देश्य के खाली पड़ी रहती है।
ये भी पढ़ें : प्रशासनिक फेरबदल: हिमाचल में लंबे समय से तैनात DC और ADM होंगे ट्रांसफर | Big Step by Govt.
लोगों ने मांग उठाई है कि इस उपयोगहीन वर्षा शालिका को मैनथापल से हटाकर कालाअंब मुख्य चौक में स्थानांतरित किया जाए। ऐसा करने से यात्रियों को राहत मिलेगी और यह ढांचा अपने वास्तविक उद्देश्य को पूरा कर सकेगा। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग को चाहिए कि वह इस मामले में जल्द कार्रवाई करे, ताकि सरकारी धन से बने ढांचे व्यर्थ न जाएं।
इस मामले पर जब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (TCP) विभाग के अधिकारी राजीव चौहान से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि उक्त उपयोगहीन वर्षा शालिका का स्थानांतरण विभाग की सीधी जिम्मेदारी नहीं है। नियमों के अनुसार, किसी सार्वजनिक संरचना का स्थानांतरण स्थानीय ग्राम पंचायत के माध्यम से किया जा सकता है। ऐसे में ग्राम पंचायत चाहे तो इसे औपचारिक प्रस्ताव पारित कर कालाअंब मुख्य चौक में शिफ्ट कर सकती है।
वहीं, क्षेत्रीय पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि यदि विभाग सहयोग करे तो वे भी इस उपयोगहीन वर्षा शालिका को स्थानांतरित करने में पहल करेंगे। पंचायत के सदस्यों ने बताया कि वे इस मुद्दे को अगली बैठक में चर्चा के लिए लाएंगे, ताकि यात्रियों को सुविधा मिल सके और सरकारी संपत्ति का बेहतर उपयोग हो।
बहरहाल, इस तरह की उपयोगहीन वर्षा शालिका राज्य भर में कई जगह देखी जा सकती हैं, जो योजना निर्माण में व्यावहारिकता की कमी को दर्शाती हैं। यदि योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने से पहले स्थानीय जरूरतों का आकलन किया जाए, तो ऐसे ढांचे वास्तव में जनता के काम आ सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि मैनथापल की यह उपयोगहीन वर्षा शालिका कब तक अपने वर्तमान रूप में पड़ी रहती है या फिर विभाग और पंचायत मिलकर इसे यात्रियों के लिए उपयोगी बना पाते हैं।
✍️ संपादकीय
