कालाअंब में छठ पर्व का दूसरा दिन श्रद्धा और आस्था के रंग में रंगा
महिलाओं ने निभाई खरना की परंपरा
कालाअंब (सिरमौर)। औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में छठ पर्व का दूसरा दिन पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में मनाया गया। रविवार को व्रतधारी महिलाओं ने परंपरागत रूप से खरना (लोहंडा) की विधि पूरी की।
पंडित प्रमोद द्विवेदी ने बताया कि खरना छठ पूजा के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक माना जाता है, जिसमें महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं और प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का कठोर उपवास आरंभ करती हैं।
खरना के अवसर पर कालाअंब के मारकंडा नदी तट, विभिन्न कॉलोनियों और मोहल्लों में धार्मिक उत्साह का माहौल है। इस दौरान व्रतधारी महिलाओं ने गुड़ की खीर, गेहूं के आटे की रोटी और मौसमी फलों से बने महाप्रसाद को छठी मइया को अर्पित किया। इसके बाद महिलाएं सामूहिक रूप से सूर्य देव की आराधना के लिए एकत्र हुईं और संध्या अर्घ्य के साथ पूजा-अर्चना संपन्न की।
Also Read : माता बाला सुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर का इतिहास और महत्व
स्थानीय महिलाओं में सुनीता, रंजना, मीना देवी, स्वाति और पूजा ने बताया कि खरना की परंपरा आत्मसंयम, पवित्रता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। खरना के बाद व्रतधारी 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं और अगले दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं।
