Home राजनीति Shimla Big Update: कांग्रेस सरकार के 5 Lakh Jobs Promise पर सवाल — विश्वविद्यालय के 182 आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी संकट में

Shimla Big Update: कांग्रेस सरकार के 5 Lakh Jobs Promise पर सवाल — विश्वविद्यालय के 182 आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी संकट में

by Dainik Janvarta
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सांसद सुरेश कश्यप बोले — कांग्रेस सरकार की पांच लाख नौकरियों का वादा निकला खोखला, विश्वविद्यालय से कर्मचारियों को निकाला जा रहा

शिमला। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि जिस सरकार ने सत्ता में आने से पहले 5 लाख नौकरियां देने और पहली ही कैबिनेट में 1 लाख नौकरी देने का वादा किया था, वही सरकार अब कर्मचारियों की नौकरियां छीनने में लगी हुई है। प्रदेश में लगातार आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा रही हैं, जिससे हजारों परिवारों का भविष्य अधर में लटक गया है।

सुरेश कश्यप ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के लगभग 182 आउटसोर्स कर्मचारी आज गंभीर नौकरी संकट से जूझ रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन पुराने कर्मचारियों को इस प्रक्रिया में कोई प्राथमिकता नहीं दी जा रही। इन कर्मचारियों का अनुबंध 30 सितंबर को समाप्त हो गया था, जबकि इनमें से कई कर्मचारी 8 से 12 वर्षों से सेवाएं दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि लंबे समय से सेवा देने वाले इन कर्मचारियों को अचानक बाहर का रास्ता दिखाना न केवल अमानवीय है, बल्कि सरकार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर भी उजागर करता है। विश्वविद्यालय की नई भर्ती केवल एक माह की अस्थायी अवधि के लिए की जा रही है, जो विभिन्न प्रशासनिक और तकनीकी शाखाओं में की जाएगी।

सांसद कश्यप ने सवाल उठाया कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि विश्वविद्यालय को नए कर्मचारियों की भर्ती करनी पड़ रही है? क्या यह प्रक्रिया किसी राजनीतिक लाभ या कांग्रेस समर्थित ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से की जा रही है?

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार को चाहिए कि वह अपने वादों के अनुरूप पहले से काम कर रहे कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करे। कर्मचारियों की उपेक्षा करना और उन्हें अस्थिरता की स्थिति में धकेलना न केवल सामाजिक असंतोष को बढ़ाएगा, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न खड़ा करेगा।

सुरेश कश्यप ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ने हाल ही में डीए (महंगाई भत्ता) की घोषणा में भी कर्मचारियों के साथ छल किया है। उन्होंने केवल एक प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखाई है, जबकि वास्तविकता इससे भिन्न है। इससे साफ है कि सरकार प्रदेश की वित्तीय स्थिति को संभालने में पूरी तरह विफल हो चुकी है।

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उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग को “वेंटिलेटर” की स्थिति में पहुंचा दिया है। ऐसे में कर्मचारियों की भलाई और रोजगार सुरक्षा पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।

भाजपा सांसद ने कहा कि सरकार को अपने वादों की याद दिलाते हुए पुराने कर्मचारियों को राहत देनी चाहिए और उनके अनुभव को नकारने की बजाय सम्मान देना चाहिए। उन्होंने मांग की कि विश्वविद्यालय प्रशासन तत्काल पुराने कर्मचारियों की सेवाएं बहाल करे और नई भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, ताकि युवाओं और वर्तमान कर्मचारियों दोनों को न्याय मिल सके।

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