TET अनिवार्यता पर विधि विभाग से राय लेगी प्रदेश सरकार, शिक्षकों की जानकारी जुटाने के बाद होगा फैसला
शिमला : हिमाचल प्रदेश सरकार ने TET अनिवार्यता को लेकर गंभीर मंथन शुरू कर दिया है। हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने विधि विभाग से राय लेने का निर्णय लिया है। इसके बाद ही यह तय होगा कि प्रदेश भी पुनर्विचार याचिका दायर करे या सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू करे।
सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को स्पष्ट कर दिया था कि कक्षा पहली से आठवीं तक पढ़ाने वाले सभी सरकारी और प्राइवेट शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य होगा। कोर्ट के अनुसार जिन शिक्षकों की सेवा निवृत्ति में पाँच साल से अधिक का समय बचा है, उन्हें यह परीक्षा देनी होगी। वहीं, जिनके केवल पाँच साल की सेवा शेष है, उन्हें छूट दी गई है। परीक्षा पास न करने वाले शिक्षकों को भविष्य में नौकरी छोड़नी पड़ सकती है।
प्रदेश शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी स्कूलों से TET पास और नॉन-TET पास शिक्षकों की जानकारी मांगी है। यह डाटा आने के बाद ही सरकार अपना अगला कदम तय करेगी। शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने बताया कि फिलहाल आदेशों का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है और विधि विभाग की राय अहम होगी।
इस बीच, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसी अन्य राज्य सरकारें पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर चुकी हैं। अब हिमाचल के शिक्षक संगठन भी सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि वे शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए जल्द कदम उठाएं। संगठनों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश पुरानी तिथि से लागू नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे भविष्य को ध्यान में रखकर लागू किया जाए।
सूत्रों के अनुसार, आने वाले सप्ताह में स्कूलों से मांगी गई रिपोर्ट मिलने के बाद प्रदेश सरकार अपनी आधिकारिक स्थिति स्पष्ट कर देगी। यदि आंकड़े ज्यादा बड़े निकलते हैं तो सरकार पर TET अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का दबाव और बढ़ सकता है।
