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कालाअंब में ओजोन परत संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए Incredible Awarness Camp, 5 दर्जन उद्योगों ने लिया हिस्सा

ओजोन परत संरक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेते उद्यमी

विश्व ओज़ोन दिवस पर ओजोन परत संरक्षण पर उद्योग जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

संक्षिप्त सार:
कालाअंब (सिरमौर) में हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से विश्व ओज़ोन दिवस पर उद्योग जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें उद्योग प्रतिनिधियों, पर्यावरण विशेषज्ञों और अधिकारियों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि डॉ. संजय शर्मा ने ओजोन परत संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग और उद्योगों की भागीदारी को आवश्यक बताया। क्षेत्रीय अधिकारी अतुल परमार ने ओज़ोन परत की वैज्ञानिक भूमिका समझाई और बताया कि भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत हानिकारक गैसों का 99% उपयोग खत्म किया है। कार्यक्रम में फार्मा और औद्योगिक इकाइयों ने अपनी पर्यावरण अनुकूल तकनीकों की जानकारी साझा की। अंत में प्रतिभागियों ने ओजोन परत संरक्षण की शपथ ली और क्विज़ प्रतियोगिता में भाग लिया।

समाचार विस्तार:
कालाअंब (सिरमौर)। हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से विश्व ओज़ोन दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को कालाअंब में उद्योग जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में उद्योग प्रतिनिधियों, पर्यावरण विशेषज्ञों और अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उद्योग जगत में ओजोन परत संरक्षण और पर्यावरण बचाव के प्रति जागरूकता फैलाना था।

कार्यक्रम में एनआईटीटीटीआर चंडीगढ़ के प्रोफेसर डॉ. संजय शर्मा मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक स्तर पर ओजोन परत संरक्षण तभी संभव है जब उद्योग जगत सक्रिय भागीदारी निभाए। उन्होंने बताया कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को दुनिया का सबसे सफल पर्यावरणीय समझौता माना जाता है और इसकी सफलता में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान अहम है। उन्होंने उद्योग संचालकों से अपील की कि वे स्वच्छ ऊर्जा अपनाएं और प्रदूषण कम करने वाली तकनीकों को लागू करें।

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क्षेत्रीय अधिकारी अतुल परमार ने ओज़ोन परत की वैज्ञानिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह परत समतापमंडल में 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई पर फैली है और सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है। यदि यह परत क्षीण होती है तो पृथ्वी की जलवायु प्रणाली प्रभावित होगी और पारिस्थितिक तंत्र पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन और अन्य हानिकारक गैसें ओजोन परत संरक्षण के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत इन गैसों के उपयोग को 99% तक कम कर दिया है, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

कार्यक्रम के दौरान मैनकाइंड फार्मा लिमिटेड, ब्लू स्टार लिमिटेड और पिडिलाइट इंडस्ट्रीज के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि उनकी इकाइयाँ आधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर प्रदूषण घटाने और ओजोन परत संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही हैं। इससे संदेश गया कि औद्योगिक विकास और पर्यावरण सुरक्षा एक साथ आगे बढ़ सकते हैं।

समापन पर सभी प्रतिभागियों ने सामूहिक रूप से ओजोन परत संरक्षण की शपथ ली और पर्यावरण बचाने का वचन दिया। इसके बाद क्विज़ प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें ओज़ोन परत, पर्यावरणीय नीतियों और सतत औद्योगिक उपायों पर प्रश्न पूछे गए। प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और सही उत्तर देने वालों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।

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इस अवसर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कालाअंब के कनिष्ठ अभियंता नवीन कुमार, उद्यमी सीएस पुष्करना, संजय सिंगला, दीपक, सुशील सैनी और सुरेंद्र जैन सहित कई उद्यमी मौजूद रहे। कार्यक्रम ने यह स्पष्ट किया कि ओजोन परत संरक्षण केवल सरकार या वैज्ञानिकों का नहीं, बल्कि पूरे समाज और उद्योग जगत की साझा जिम्मेदारी है।

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