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Bulk Drug Park: Big Boost | ऊना में 2071 करोड़ का बल्क ड्रग पार्क, 20,000 रोजगार से प्रदेश को मिलेगा Strong Support

Bulk Drug Park – आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

ऊना में बनेगा ₹2071 करोड़ का Bulk Drug Park, युवाओं को 20 हज़ार रोजगार का मौका

संक्षिप्त सार

ऊना में प्रस्तावित ₹2071 करोड़ का Bulk Drug Park को पर्यावरण मंजूरी मिल गई है। यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश को फार्मा हब बनाने की दिशा में अहम कदम है। पार्क के बनने से लगभग 20,000 युवाओं को रोजगार मिलेगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार मिलेगा। इस पार्क में Active Pharmaceutical Ingredients (APIs) और bulk drugs का उत्पादन होगा, जिससे भारत की दवा उद्योग में आयात निर्भरता घटेगी और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा।

ऊना: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले को केंद्र सरकार से बड़ी सौगात मिली है। हाल ही में प्रस्तावित Bulk Drug Park परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है। लगभग ₹2071 करोड़ की लागत से बनने वाला यह पार्क न केवल प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत की फार्मा इंडस्ट्री को नई दिशा देगा।

इस परियोजना से 15,000 से 20,000 तक युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऊना का Bulk Drug Park हिमाचल के औद्योगिक विकास और भारत की आत्मनिर्भर फार्मा नीति का “गेम चेंजर” साबित हो सकता है।

Bulk Drug Park क्या है?

फार्मा इंडस्ट्री में Bulk Drugs यानी Active Pharmaceutical Ingredients (APIs) दवाइयों का मुख्य कच्चा माल होते हैं। आज भारत दवा उत्पादन में अग्रणी है लेकिन APIs के लिए चीन जैसे देशों पर निर्भर है।

Bulk Drug Park का उद्देश्य यही है कि भारत में बड़े पैमाने पर APIs का उत्पादन हो सके। इससे आयात पर निर्भरता घटेगी, दवाइयों की लागत कम होगी और भारत की दवा इंडस्ट्री वैश्विक स्तर पर और मजबूत बनेगी।

ऊना को क्यों चुना गया?

ऊना को Bulk Drug Park के लिए चुने जाने के पीछे कई कारण हैं। हिमाचल पहले से ही फार्मा का बड़ा केंद्र है। बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (BBN) एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब है।

लोकेशन: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर भारत के बड़े बाज़ारों के करीब।

इंफ्रास्ट्रक्चर: बेहतर सड़क और रेलवे नेटवर्क।

फार्मा इकोसिस्टम: BBN और आसपास के उद्योगों से तालमेल।

Bulk Drug Park बनने के बाद हिमाचल की पहचान फार्मा इंडस्ट्री में और मजबूत होगी।

रोजगार और अवसर

Bulk Drug Park से हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसमें फैक्ट्रियों, लैब्स और प्रशासन में सीधी नौकरियों के साथ-साथ सप्लाई चेन, ट्रांसपोर्ट और छोटे व्यापार में अप्रत्यक्ष रोजगार भी जुड़ेगा।

हिमाचल में पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं के लिए यह प्रोजेक्ट उम्मीद की नई किरण है।

पर्यावरणीय चुनौतियाँ

हर औद्योगिक प्रोजेक्ट की तरह Bulk Drug Park के साथ भी पर्यावरण संबंधी चिंताएँ हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रासायनिक कचरे और प्रदूषण का खतरा बढ़ सकता है।

लेकिन सरकार का दावा है कि पार्क में अत्याधुनिक Effluent Treatment Plant (ETP) और ग्रीन टेक्नोलॉजी लगाई जाएगी। लगातार मॉनिटरिंग से प्रदूषण को नियंत्रित करने की योजना बनाई गई है।

अर्थव्यवस्था पर असर

हिमाचल की अर्थव्यवस्था पर्यटन और कृषि पर टिकी रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में फार्मा उद्योग ने बड़ा योगदान दिया है। Bulk Drug Park के शुरू होने से:

निवेश और रोज़गार दोनों बढ़ेंगे।

छोटे वेंडर्स और सप्लायर्स को नया बाज़ार मिलेगा।

सरकार को टैक्स राजस्व में बढ़ोतरी होगी।

यह प्रोजेक्ट प्रदेश की औद्योगिक पहचान को और मजबूत करेगा।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

Bulk Drug Park प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत योजना का अहम हिस्सा है। इसका मकसद है कि भारत अपनी दवाओं के लिए APIs का उत्पादन खुद करे और विदेशी निर्भरता खत्म हो।

अगर ऊना का Bulk Drug Park सफल हुआ, तो भारत न केवल घरेलू जरूरतें पूरी करेगा बल्कि APIs के निर्यात में भी अग्रणी बन सकता है।

निष्कर्ष

ऊना का Bulk Drug Park हिमाचल प्रदेश के लिए औद्योगिक विकास का ऐतिहासिक अवसर है। यह रोजगार देगा, अर्थव्यवस्था को मज़बूती देगा और भारत की फार्मा इंडस्ट्री को आत्मनिर्भर बनाएगा।

चुनौतियाँ जरूर हैं, खासकर पर्यावरण से जुड़ी, लेकिन अगर इन्हें सही तरह से मैनेज किया गया तो आने वाले वर्षों में ऊना का नाम भारत की औद्योगिक क्रांति में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा।

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