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उपायुक्त सिरमौर ने दो पंचायत प्रधानों को पद से हटाने के आदेश किए जारी, लाखों की राशि लौटाने के निर्देश
नाहन, 06 सितम्बर।
जिला सिरमौर में बड़ा प्रशासनिक कदम उठाते हुए उपायुक्त सिरमौर प्रियंका वर्मा ने विकास खण्ड शिलाई की दो पंचायतों – ग्राम पंचायत मिल्लाह और नायापंजौड के प्रधानों को अपने कर्तव्यों में अवचार और वित्तीय अनियमितताओं का दोषी पाते हुए पद से तत्काल हटाने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं, दोनों प्रधानों को छह वर्ष की अवधि तक पंचायत पदाधिकारी के रूप में निर्वाचित होने से अयोग्य भी घोषित कर दिया गया है।
उपायुक्त सिरमौर की मिल्लाह पंचायत की प्रधान पर कार्रवाई
ग्राम पंचायत मिल्लाह की प्रधान देबो देवी पर पंचायत निधि के दुरुपयोग के आरोप सिद्ध हुए। जांच में यह पाया गया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पारदर्शिता और जवाबदेही का पालन नहीं किया। इसी आधार पर उपायुक्त सिरमौर ने आदेश जारी करते हुए प्रधान को पद से हटाने और 4,70,471 रूपये की दुरुपयोग की गई राशि को तुरंत पंचायत निधि खाते में जमा करवाने के निर्देश दिए।
इसके अतिरिक्त, प्रधान को आदेश दिया गया कि वे पंचायत की नकद राशि, अभिलेख, स्टॉक सामग्री और पंचायत की मोहर तुरंत सचिव को सौंपें। इस कार्रवाई को ग्रामीणों ने प्रशासन का सही और आवश्यक कदम बताया है।
उपायुक्त सिरमौर की नायापंजौड पंचायत के प्रधान पर भी सख्त निर्णय
इसी तरह, ग्राम पंचायत नायापंजौड के प्रधान लायक राम को भी उनके पद से हटाने का आदेश हुआ। जांच में यह सामने आया कि पंचायत निधि से 6,43,969 रूपये की राशि का दुरुपयोग किया गया है। इस पर उपायुक्त सिरमौर ने प्रधान लायक राम को हटाने के साथ छह वर्ष तक चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया।
साथ ही उन्हें आदेश दिया गया कि वे दुरुपयोग की गई राशि तुरंत पंचायत निधि खाते में जमा करवाएं और अपने पास मौजूद नकद, अभिलेख और स्टॉक सामग्री सचिव को सौंपें।
जिला प्रशासन का सख्त संदेश
इन दोनों मामलों पर कार्रवाई करके उपायुक्त सिरमौर ने स्पष्ट संदेश दिया है कि पंचायत स्तर पर जनता की निधि का दुरुपयोग किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पंचायत प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ काम करें।
उन्होंने यह भी दोहराया कि पंचायतों की कार्यप्रणाली पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और जहां भी अनियमितता सामने आएगी, वहां तुरंत कार्रवाई होगी।
उपायुक्त सिरमौर की इस कार्रवाई पर ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
मिल्लाह और नायापंजौड पंचायतों में इस कार्रवाई से ग्रामीणों में हलचल मच गई है। कई लोगों ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया, वहीं कुछ ग्रामीणों ने कहा कि अब पंचायत निधि का दुरुपयोग रुक सकेगा। उनका मानना है कि उपायुक्त सिरमौर ने जो निर्णय लिया है, उससे अन्य पंचायत प्रधानों को भी चेतावनी मिलेगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब प्रशासन इस तरह की कठोर कार्यवाही करता है, तो विकास कार्यों में पारदर्शिता और जनता का विश्वास दोनों मजबूत होते हैं।
पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में कदम
पंचायतीराज व्यवस्था की आत्मा जनता की भागीदारी और पारदर्शिता में है। जब कोई प्रतिनिधि इस जिम्मेदारी से भटकता है, तो प्रशासनिक हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है। उपायुक्त सिरमौर द्वारा उठाया गया यह कदम पंचायत स्तर पर जवाबदेही को मजबूत करेगा और भविष्य के लिए एक मिसाल बनेगा।
नतीजा:
एक ही दिन में दो पंचायत प्रधानों को हटाने का फैसला सिरमौर जिला प्रशासन की सख्त और पारदर्शी कार्यशैली को दर्शाता है। उपायुक्त सिरमौर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पंचायत निधि का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई अनिवार्य है।
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ग्रामीण विकास की गति को सही दिशा देने के लिए ऐसे कदम जरूरी हैं। इस फैसले से पंचायत व्यवस्था में विश्वास बहाल होगा और अन्य प्रतिनिधियों को भी यह संदेश जाएगा कि ईमानदारी से ही सेवा की जा सकती है।
