Home क्लासिफाइड जीएसटी दरों में कटौती: प्रदेश के किसानोंऔर बागवानों को आंशिक राहत | Big Relief 2025

जीएसटी दरों में कटौती: प्रदेश के किसानोंऔर बागवानों को आंशिक राहत | Big Relief 2025

by Sanjay Gupta
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जीएसटी दरों में कटौती का असर पावर टिल्लर और स्प्रेयर की कीमतों में कमी - सांकेतिक

हिमाचल: जीएसटी दरों में कटौती से किसानों-बागवानों को होगा लाभ, घटेगी कृषि-बागवानी की उत्पादन लागत

शिमला। जीएसटी दरों में कटौती से हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों को केंद्र सरकार ने कुछ राहत दी है। सहायक कृषि उपकरणों, जैविक कीटनाशकों और आधुनिक बागवानी में इस्तेमाल होने वाले सहायक उपकरणों पर जीएसटी दरों में कटौती कर दी गई है। इस फैसले से सीधे तौर पर कृषि-बागवानी की उत्पादन लागत घटेगी और किसानों की जेब पर पड़ने वाला बोझ कुछ कम होगा।

विशेषज्ञों का तर्क है कि जीएसटी दरों में कटौती से न सिर्फ पारंपरिक खेती बल्कि हाईटेक खेती और बागवानी को भी नया प्रोत्साहन मिलेगा। खासतौर पर उच्च घनत्व पौधरोपण (एचडीपी), ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर और पॉलीहाउस खेती जैसे आधुनिक मॉडल की लागत कम होने से राज्य के बागवानों और किसानों को दीर्घकालीन फायदा मिलने की उम्मीद है।

जीएसटी दरों में कटौती से जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा

केंद्र सरकार ने जैविक कीटनाशकों पर जीएसटी की दर 12% से घटाकर मात्र 5% कर दी है। बहरहाल, जीएसटी दरों में कटौती उन किसानों के लिए राहत की बात है जो पारंपरिक खेती छोड़कर अब जैविक उत्पादन की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि हिमाचल प्रदेश में अब भी रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग ज्यादा किया जा रहा है, लेकिन धीरे-धीरे जैविक खेती की ओर बढ़ते रुझान को देखते हुए यह कटौती बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि जब जैविक उत्पादों की कीमत बाजार में उचित स्तर पर मिलती है और उत्पादन लागत घटती है, तो किसान और बागवान इस मॉडल की ओर अधिक आकर्षित होते हैं। इस तरह देखा जाए तो जीएसटी दरों में कमी से कृषि-बागवानी की उत्पादन लागत नियंत्रित होगी और पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा।

उर्वरकों पर जीएसटी की दरें यथावत

उर्वरकों पर पहले से ही 5% जीएसटी लागू है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसलिए उर्वरकों की लागत में सीधी राहत तो नहीं मिलेगी, लेकिन अन्य उपकरणों और सामग्रियों की क़ीमतों में कमी आने से कुल मिलाकर उत्पादन लागत कम होने की संभावना है।

जीएसटी दरों में कटौती से आधुनिक उपकरणों की कीमतों में आएगी बड़ी गिरावट

बागवानी और खेती के लिए उपयोग होने वाले पावर टिल्लर, पावर स्प्रेयर और ग्रॉस कटर जैसे उपकरणों की कीमतों में जीएसटी दरों में कटौती से उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है।

पावर टिल्लर की कीमत लगभग 5,000 से 8,000 रुपये तक कम हो सकती है।

पावर स्प्रेयर 4,000 से 6,000 रुपये तक सस्ता हो सकता है।

ग्रॉस कटर की कीमतों में 2,000 से 3,000 रुपये तक कमी आ सकती है।

इन उपकरणों का इस्तेमाल पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। खेतों और बागानों में आधुनिक तकनीक के आने से उत्पादन बढ़ा है लेकिन लागत भी साथ में बढ़ी। अब जीएसटी की दरें घटने से किसानों के लिए यह निवेश आसान होगा और कृषि-बागवानी की उत्पादन लागत में वास्तविक गिरावट दिखेगी।

पॉलीहाउस खेती और एचडीपी बागवानी को राहत

हिमाचल में सब्जी, फूल और फलों की खेती के लिए पॉलीहाउस का चलन तेजी से बढ़ रहा है। पॉलीहाउस में लगने वाली शीट, एंगल और ड्रिप इरिगेशन सेटअप महंगे पड़ते थे। जीएसटी दरों में कटौती के बाद इनकी कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है।

इसी तरह एचडीपी बागवानी में इस्तेमाल होने वाले ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर सिस्टम की लागत भी अब कम होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सरकार समय पर जीएसटी दरों में कटौती को कंपनियों से लागू करवाती है तो किसानों और बागवानों के लिए यह एक स्थायी राहत साबित होगी।

किसान संगठनों की मांग – जीएसटी दरें शून्य हों

संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि जीएसटी दरों में कटौती स्वागत योग्य कदम है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उनका कहना है कि कृषि और बागवानी पर जीएसटी की दरें शून्य होनी चाहिए। अन्य उद्योगों में उत्पादक किसी न किसी रूप में जीएसटी का हिस्सा वापस पा लेते हैं, लेकिन किसान और बागवानों को यह राहत नहीं मिलती। इसलिए खेती-बाड़ी से जुड़ी हर सामग्री पर जीएसटी खत्म किया जाना चाहिए।

कंपनियों पर निगरानी जरूरी

हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादक संघ के संयोजक सोहन सिंह ठाकुर का कहना है कि सरकार ने तो जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा कर दी है, लेकिन असली राहत तभी मिलेगी जब यह कंपनियों से सख्ती से लागू करवाई जाए। अक्सर कंपनियां जीएसटी दरों में कटौती का फायदा उपभोक्ता तक नहीं पहुंचातीं। अगर ऐसा हुआ तो किसानों और बागवानों तक इस फैसले का वास्तविक लाभ नहीं पहुंच पाएगा और कृषि-बागवानी की उत्पादन लागत में कमी का सपना अधूरा रह जाएगा।

राहत या अधूरी उम्मीद?

सरकार का यह फैसला हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में किसानों और बागवानों के लिए निश्चित रूप से सकारात्मक कदम है। लेकिन जब तक जीएसटी को पूरी तरह से शून्य नहीं किया जाता और कंपनियों की मनमानी पर रोक नहीं लगती, तब तक किसान और बागवानों को आधी-अधूरी ही राहत मिलती रहेगी।

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किसानों और बागवानों का कहना है कि खेती और बागवानी भारत की रीढ़ है। अगर वास्तव में किसानों को सशक्त बनाना है तो उत्पादन लागत को कम से कम रखना होगा। ऐसे में जीएसटी दरों में कटौती से कृषि-बागवानी की उत्पादन लागत में आई गिरावट एक सही शुरुआत है, लेकिन मंज़िल अभी दूर है।

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