राज्य में बाढ़: पंजाब और हिमाचल में लगातार बारिश से बिगड़े हालात, 1400 गांव डूबे
चंडीगढ़: पंजाब और हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश ने राज्य में बाढ़ की स्थिति से हालात बेहद खराब कर दिए हैं। राज्य में बाढ़ की वजह से लोगों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है। पंजाब के सभी 23 जिलों में 1400 से अधिक गांव जलमग्न हो गए हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए पंजाब सरकार ने पूरे राज्य को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया है।
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मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने सभी विभागों और जिला मजिस्ट्रेटों को राहत कार्यों में तेजी लाने के आदेश दिए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहे हैं। सरकार ने सभी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं ताकि हर विभाग बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए उपलब्ध रहे।
शिक्षा संस्थान 7 सितंबर तक बंद
राज्य में बाढ़ का असर केवल गांवों और शहरों पर ही नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ा है। शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने घोषणा की है कि सभी सरकारी, एडेड, मान्यता प्राप्त, निजी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और पॉलिटेक्निक संस्थान 7 सितंबर तक बंद रहेंगे। पहले इन्हें 3 सितंबर तक बंद रखने का आदेश दिया गया था, लेकिन हालात बिगड़ने के कारण इसे आगे बढ़ाना पड़ा।
फसलें डूबीं, लाखों लोग प्रभावित
राज्य में बाढ़ की वजह से अब तक 3.5 लाख एकड़ जमीन पर खड़ी फसलें पूरी तरह डूब चुकी हैं। किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है और कृषि अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। धान, मक्का और गन्ने की फसलों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है। बुधवार को बरनाला के बुजुर्ग दंपती और लुधियाना का एक युवक बाढ़ का शिकार बने। वहीं, 4.5 लाख से ज्यादा लोग सीधे इस आपदा से प्रभावित हैं।
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गांवों में पानी भरने से लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ रहा है। कई इलाकों में राहत शिविर बनाए गए हैं, जहां हजारों लोग शरण ले चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर बीमारियों की रोकथाम पर ध्यान दे रही हैं।
बांधों पर बढ़ा दबाव
राज्य में बाढ़ की स्थिति और ज्यादा गंभीर इसलिए हो गई है क्योंकि हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने बड़े बांधों पर दबाव बढ़ा दिया है। भाखड़ा बांध के पीछे गोबिंद सागर झील का जलस्तर 1678.10 फीट तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान 1680 फीट से मात्र दो फीट नीचे है।
हालात को संभालने के लिए भाखड़ा बांध से रोजाना 75 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। नंगल हाइडल नहर और श्री आनंदपुर साहिब हाइडल नहर में 9 हजार क्यूसेक पानी, जबकि सतलुज दरिया में लगभग 57 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इससे निचले क्षेत्रों में पानी का स्तर और तेजी से बढ़ रहा है।
मरम्मत और बचाव कार्य
लगभग 20 जगहों पर नहरों की मरम्मत का काम युद्ध स्तर पर जारी है। जल संसाधन विभाग लगातार हालात पर नजर रख रहा है। प्रशासन ने चेतावनी जारी की है कि लोग नदी और नहरों के किनारे जाने से बचें क्योंकि जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
एनडीआरएफ, पुलिस और सेना की टीमें भी राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं। नावों और मोटरबोट की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। कई ग्रामीण घर पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं।
आम जनता की परेशानियां
राज्य में बाढ़ के कारण परिवहन और संचार सेवाएं भी प्रभावित हो गई हैं। कई सड़कों पर पानी भर जाने से यातायात बाधित हुआ है। रेल सेवाओं पर भी असर पड़ा है। बिजली और पीने के पानी की आपूर्ति ग्रामीण इलाकों में रुक-रुक कर हो रही है।
सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें और अफवाहों से दूर रहें। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि प्रभावित परिवारों को हर संभव राहत और मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
निष्कर्ष
राज्य में बाढ़ ने पंजाब और हिमाचल प्रदेश के जीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। हजारों गांवों में पानी भरने से लोगों को पलायन करना पड़ रहा है। शिक्षा, खेती-बाड़ी, परिवहन और स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। प्रशासन और सरकार लगातार राहत कार्य में जुटे हैं, लेकिन सामान्य हालात बहाल होने में अभी समय लगेगा।
