हिमाचल सरकार का बड़ा निर्णय, शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा पर जोर

शिमला। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। भूस्खलन, सड़कें अवरुद्ध होने, बिजली-पानी आपूर्ति में रुकावट और पेड़ों के गिरने जैसी घटनाओं से हालात गंभीर बने हुए हैं। ऐसे में विद्यार्थियों और कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेजों तथा डाइट संस्थानों को 7 सितंबर तक बंद रखने का फैसला लिया है। इस दौरान ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प चुना जाएगा ताकि पढ़ाई प्रभावित न हो। शिक्षा सचिव राकेश कंवर की ओर से जारी आदेशों में स्पष्ट कहा गया है कि खराब मौसम के बीच सबसे बड़ी प्राथमिकता शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
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भारी बारिश से बिगड़े हालात
पिछले कई दिनों से हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग ने कई जिलों में रेड अलर्ट भी जारी किया है। लगातार बारिश से जहां एक ओर नदी-नाले उफान पर हैं, वहीं दूसरी ओर पहाड़ों से चट्टानें खिसकने का खतरा भी बढ़ गया है। भूस्खलन और पेड़ों के गिरने से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की सड़कों पर यातायात बाधित हो गया है। ऐसे में बच्चों और शिक्षकों का विद्यालयों तक आना-जाना जोखिम भरा हो सकता था। इसी कारण सरकार ने सभी शैक्षणिक गतिविधियों को अस्थायी रूप से रोककर विद्यार्थियों की सुरक्षा को सर्वोपरि माना है।
शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा के तहत ऑनलाइन कक्षाओं पर जोर
शिक्षा विभाग के आदेशों के अनुसार, इस अवधि में जहां तक संभव हो ऑनलाइन माध्यम से कक्षाएं जारी रखी जाएंगी। संबंधित संस्थानों के प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि पढ़ाई पूरी तरह ठप न पड़े। हालांकि प्राथमिकता शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा ही रहेगी, लेकिन विद्यार्थियों की शिक्षा पर असर कम करने के लिए तकनीक का सहारा लिया जाएगा। यह निर्णय विशेषकर दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए राहतभरा कदम साबित होगा।
छुट्टियों के दौरान जिम्मेदारी
सरकार ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि छुट्टियों के दौरान संस्थान प्रमुखों को अपने-अपने परिसर पर निगरानी रखनी होगी। यदि किसी स्कूल या कॉलेज की इमारत या संपत्ति को नुकसान पहुंचने की संभावना है तो समय रहते उचित कदम उठाए जाएं। खासकर रिकॉर्ड और चल संपत्तियों को सुरक्षित स्थान पर रखने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल, प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश से स्कूल भवनों की दीवारें गिरी हैं और छतों में रिसाव की शिकायतें आई हैं। ऐसे में सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है ताकि शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
सार्वजनिक ढांचे पर बड़ा असर
लगातार बारिश ने हिमाचल प्रदेश के सार्वजनिक ढांचे को काफी क्षति पहुंचाई है। सड़कें टूट रही हैं, बिजली की तारें गिर रही हैं और पेयजल आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो रही है। कई जगहों पर भूस्खलन के कारण भवनों को नुकसान पहुंचा है। शिक्षा सचिव ने आदेश में कहा है कि इन परिस्थितियों को देखते हुए आने वाले दिनों में भी खतरा टलने की संभावना नहीं है। इसलिए सरकार ने एहतियातन संस्थानों को बंद करने का फैसला लिया है।
शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा हेतु लिए गए निर्णय से अभिभावकों को मिली राहत
सरकार के इस निर्णय से अभिभावकों को भी राहत मिली है। वे पहले से ही बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे क्योंकि लगातार हो रही बारिश ने कई क्षेत्रों को असुरक्षित बना दिया है। अभिभावकों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार ने सही समय पर सही फैसला लिया है। वे भी चाहते हैं कि इस दौरान सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बल्कि शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
भविष्य में शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा की तैयारी
विशेषज्ञों का मानना है कि बदलते मौसम पैटर्न के कारण अब शिक्षा व्यवस्था को आपदा प्रबंधन के नजरिए से भी देखना होगा। शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा के दृष्टिगत स्कूल-कॉलेजों की इमारतों की गुणवत्ता, उनकी लोकेशन और सुरक्षा इंतजामों पर समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए। भारी बारिश और भूस्खलन की आशंका वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए जाने जरूरी हैं। सरकार की इस पहल ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले समय में शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश ने एक बार फिर यह साबित किया है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सजगता और दूरदर्शिता ही सबसे बड़े हथियार हैं। शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा के लिए सरकार का यह फैसला न सिर्फ विद्यार्थियों और कर्मचारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासन अब शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा को गंभीरता से ले रहा है। आने वाले दिनों में जब मौसम सामान्य होगा तब पढ़ाई फिर से सामान्य रूप में शुरू की जाएगी, लेकिन फिलहाल सतर्कता ही सबसे जरूरी कदम है।
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