शिमला रोड जाम: ट्रकों की अवैध पार्किंग से यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें
शिमला। राजधानी शिमला की जीवनरेखा माने जाने वाले नेशनल हाईवे-5 पर इन दिनों ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। सेब सीज़न के दौरान मंडियों के पास ट्रकों की लंबी कतारों और अवैध पार्किंग ने यातायात व्यवस्था को बिगाड़ दिया है। हालत यह है कि शिमला रोड जाम अब रोज़मर्रा की समस्या बन चुका है और लोगों को घंटों तक सड़क पर फंसे रहना पड़ रहा है।
अवैध पार्किंग बनी समस्या की जड़
सेब मंडी के पास हर दिन सैकड़ों ट्रक सेब की खेप लेकर पहुंचते हैं। मगर, निर्धारित पार्किंग व्यवस्था न होने और ट्रक चालकों की मनमानी के चलते सड़क किनारे वाहनों की अवैध पार्किंग शुरू हो जाती है। इससे हाईवे पर जगह-जगह जाम की स्थिति बन जाती है। स्थानीय लोग और पर्यटक घंटों जाम में फंसे रहते हैं। खासकर ऑफिस और स्कूल टाइम पर स्थिति और ज्यादा गंभीर हो जाती है।
हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी
कुछ समय पहले हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन को साफ निर्देश दिए थे कि नेशनल हाईवे पर अवैध पार्किंग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। बावजूद इसके, जमीनी स्तर पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। शिमला रोड जाम को लेकर हाई कोर्ट के आदेशों की अवहेलना साफ दिखाई दे रही है।
ऑनलाइन चालान और सख्ती की पहल
पुलिस अब स्थिति को संभालने के लिए ऑनलाइन चालान काट रही है। साथ ही, ट्रक चालकों को अनुशासित करने के लिए नो-पार्किंग ज़ोन में साइनबोर्ड भी लगाए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अब बार-बार चेतावनी देने के बजाय सीधे चालान किया जाएगा। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कदम देर से उठाया गया है और पहले ही ऐसी व्यवस्था हो जानी चाहिए थी ताकि शिमला रोड जाम की समस्या इस स्तर तक न बढ़े।
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यात्रियों और स्थानीय लोगों की परेशानी
हर दिन हजारों लोग इस सड़क से गुजरते हैं। जाम की वजह से लोग समय पर अस्पताल, दफ्तर या स्कूल नहीं पहुंच पाते। पर्यटकों को भी भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। टैक्सी और बस चालक कहते हैं कि यात्रा का समय सामान्य से दोगुना हो गया है। कई बार जाम की वजह से एंबुलेंस जैसी इमरजेंसी सेवाएं भी प्रभावित होती हैं, जो स्थिति को और चिंताजनक बना देती है।
सेब सीज़न का दबाव
इस समय हिमाचल में सेब सीज़न अपने चरम पर है। सेब की खेप मंडियों तक पहुंचाने के लिए हजारों ट्रक शिमला हाईवे पर दौड़ रहे हैं। लेकिन, पर्याप्त ट्रक टर्मिनल और मंडी पार्किंग न होने से वाहनों को सड़क किनारे ही खड़ा कर दिया जाता है। यह समस्या हर साल सामने आती है, मगर समाधान नहीं हो पाता। शिमला रोड जाम का सबसे बड़ा कारण यही है कि मौसमी ट्रैफिक बढ़ जाने के बाद भी व्यवस्था समय पर नहीं की जाती।
प्रशासन की चुनौतियाँ
प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि ट्रकों को कहां पार्क कराया जाए। सेब मंडियों के आसपास जगह की कमी और अस्थायी इंतज़ाम न होने के कारण ट्रक सड़क पर ही खड़े हो जाते हैं। ट्रैफिक पुलिस की सीमित तैनाती और बार-बार बदलते रूट भी समस्या को और बढ़ा रहे हैं।
समाधान की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल सेब सीज़न में यही स्थिति बनती है, मगर प्रशासन सिर्फ अस्थायी कदम उठाकर मामला निपटा देता है। लोगों ने सरकार से मांग की है कि शिमला हाईवे पर ट्रकों के लिए स्थायी पार्किंग स्थल बनाए जाएं। साथ ही, मंडियों तक सेब लाने और ले जाने के लिए अलग लेन बनाई जाए, ताकि सामान्य यातायात प्रभावित न हो।
सोशल मीडिया पर गुस्सा
शिमला रोड जाम को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूट रहा है। कई यात्रियों ने अपनी तस्वीरें और वीडियो शेयर करके ट्रैफिक पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे तो पहले से ही सख्त व्यवस्था क्यों नहीं की गई।
निष्कर्ष
स्पष्ट है कि शिमला हाईवे पर ट्रकों की अवैध पार्किंग से जाम की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। पुलिस ने ऑनलाइन चालान और नो-पार्किंग साइन लगाने जैसे कदम जरूर उठाए हैं, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। जब तक ट्रकों के लिए अलग से पार्किंग स्पेस और वैकल्पिक ट्रैफिक रूट नहीं बनाए जाते, तब तक शिमला रोड जाम लोगों की मुश्किलें बढ़ाता रहेगा।
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