पुर्नमूल्यांकन परीक्षा परिणाम में देरी से छात्रों का साल बर्बाद, चिंता में अभिभावक
कालाअंब (सिरमौर)। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के सैकड़ों विद्यार्थी पुर्नमूल्यांकन परीक्षा परिणाम में देरी के कारण मुश्किल में फंस गए हैं। कई छात्रों का एक साल बर्बाद होने के कगार पर है, जिससे न केवल विद्यार्थी बल्कि उनके अभिभावक भी बेहद चिंतित हैं। शिक्षा व्यवस्था की इस खामी ने छात्रों के भविष्य पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
परीक्षा परिणाम देर से घोषित, छात्रों पर संकट
जानकारी के मुताबिक कालाअंब के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के आठ विद्यार्थियों ने 12वीं कक्षा का पुर्नमूल्यांकन परीक्षा दी थी। लेकिन परीक्षा परिणाम तीन महीने बाद घोषित किया गया। इस देरी ने विद्यार्थियों को बड़ी मुश्किल में डाल दिया।
नतीजा देर से आने के कारण अनुतीर्ण और कम्पार्टमेंट वाले विद्यार्थी न तो कम्पार्टमेंट का फॉर्म भर पाए और न ही उन्हें एसओएस (स्टेट ओपन स्कूल) में दाखिला मिल सका। इन दोनों प्रक्रियाओं की अंतिम तिथि परिणाम आने से पहले ही समाप्त हो गई थी। अब विद्यार्थी व अभिभावक परेशान हैं कि आखिर उनका साल कैसे बचाया जाए।
साल बर्बाद होने से छात्रों और अभिभावकों में रोष
स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) के अध्यक्ष सोनू राणा ने बताया कि यह मामला बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा कि अगर शिक्षा बोर्ड समय पर पुर्नमूल्यांकन परीक्षा परिणाम घोषित करता तो विद्यार्थियों को यह परेशानी नहीं झेलनी पड़ती। अब स्थिति यह है कि विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है।
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अभिभावक लक्ष्मी देवी, आज़ाद, लवप्रीत, संजीव, हर्षित और मोहम्मद हारून ने भी अपनी चिंता जाहिर की। उनका कहना है कि बच्चों ने मेहनत करके परीक्षाएं दीं, लेकिन परिणाम समय पर न आने से उनका पूरा साल बर्बाद हो रहा है। यह किसी भी विद्यार्थी के लिए सबसे बड़ा नुकसान है।
बोर्ड को पत्र लिखकर की मांग
अभिभावकों और छात्रों ने मिलकर हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड को पत्र लिख कर विशेष अनुरोध किया है। उन्होंने मांग की है कि कम्पार्टमेंट फॉर्म भरने और एसओएस दाखिले की अंतिम तिथि को कम से कम एक सप्ताह के लिए बढ़ाया जाए। ऐसा करने से विद्यार्थियों का साल बचाया जा सकता है।
छात्रों का कहना है कि अगर शिक्षा बोर्ड उनकी अपील नहीं मानता तो उन्हें मजबूर होकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। इस स्थिति ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर क्यों पुर्नमूल्यांकन परीक्षा परिणाम में देरी जैसी लापरवाही होती है।
देरी से परिणाम घोषित होने की समस्या
यह पहली बार नहीं है जब छात्रों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ा हो। अक्सर देखा गया है कि पुर्नमूल्यांकन परिणाम समय पर घोषित नहीं किए जाते। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। जिन विद्यार्थियों को उम्मीद होती है कि उनकी कॉपियों में सुधार के बाद अंक बढ़ेंगे, वे लंबे समय तक इंतजार करते हैं। लेकिन जब तक परिणाम आते हैं, तब तक एडमिशन और कम्पार्टमेंट की तारीखें निकल चुकी होती हैं।
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इस देरी का असर केवल शैक्षणिक सत्र पर ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है। लगातार तनाव और असमंजस की स्थिति छात्रों के आत्मविश्वास को कमजोर कर देती है।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की समस्या से बचने के लिए शिक्षा बोर्ड को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना होगा। सबसे पहले पुर्नमूल्यांकन परीक्षा परिणाम में देरी को रोकना होगा। इसके लिए डिजिटल प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन तेज़ी से हो सके।
इसके अलावा कम्पार्टमेंट और एसओएस की तिथियां परिणाम के अनुसार लचीली होनी चाहिए। अगर किसी कारण से परिणाम देर से आते हैं तो छात्रों को कम से कम एक अवसर दिया जाना चाहिए।
छात्रों का भविष्य दांव पर
छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती बल्कि यह भविष्य निर्माण का माध्यम है। अगर छात्रों को बार-बार इस तरह की परेशानियों से जूझना पड़ेगा तो उनका आत्मविश्वास टूट जाएगा।
कई विद्यार्थी उच्च शिक्षा या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं, लेकिन पुर्नमूल्यांकन परीक्षा परिणाम में देरी उनके रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बन रही है। अगर उनका साल बर्बाद हो जाता है तो वे अगले वर्ष तक पीछे रह जाएंगे और प्रतियोगिता में पिछड़ जाएंगे।
निष्कर्ष
यह स्पष्ट है कि पुर्नमूल्यांकन परीक्षा परिणाम में देरी केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं है, बल्कि यह विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड को चाहिए कि वह इस समस्या का तुरंत समाधान निकाले और विद्यार्थियों को उनका साल बचाने का मौका दे।
जब तक समय पर और पारदर्शी परिणाम घोषित नहीं होंगे, तब तक विद्यार्थियों और अभिभावकों की यह चिंता बरकरार रहेगी।
