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📝 संक्षेप सार
प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से हिमाचल में हालात गंभीर बने हुए हैं। कुल्लू, मंडी और किन्नौर जिलों में बादल फटने और भूस्खलन से मकान, पुल, दुकानें और कृषि भूमि बह गई। कुल्लू की लगघाटी में दो मकान और दो पुल बह गए, जबकि मंडी की चौहारघाटी में 5 फुट ब्रिज, दुकान और फिश फार्म तबाह हो गए। पार्वती घाटी में नेपाल मूल की महिला की मौत हो गई।
प्रदेश में बारिश और भूस्खलन: Shocking Tragedy से पहाड़ों में तबाही
शिमला/मंडी/कुल्लू: समूचे हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन ने एक बार फिर हिमाचल की धरती को हिला दिया है। कुल्लू, मंडी और किन्नौर जिलों में हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। पिछले दो दिनों में लगातार बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। मकान, दुकानें और पुल बह जाने से लोग बेघर हो गए हैं, जबकि किन्नौर कैलाश यात्रा में श्रद्धालुओं की मौत ने इस प्राकृतिक आपदा को और भी भयावह बना दिया है।
प्रदेश में बारिश और भूस्खलन की वजह से कई सड़कें बंद हो गई हैं, बिजली-पानी की आपूर्ति ठप है और लोग प्रशासनिक मदद का इंतजार कर रहे हैं। इस तबाही के बीच प्रदेश सरकार ने राहत और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं।
बादल फटने से कुल्लू और मंडी में भारी तबाही
कुल्लू जिले की लगघाटी के भूभू जोत में बादल फटने से कड़ौन पंचायत में दो मकान, दो पुल और तीन दुकानें बह गई हैं। लगभग 15 परिवारों की कई बीघा कृषि भूमि भी नदी में समा गई है। कुल्लू-कालंग सड़क पूरी तरह बंद हो गई है, जिससे चार पंचायतें बाहरी दुनिया से कट गई हैं।
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इसी तरह, मंडी की चौहारघाटी की तरसवाण पंचायत में बादल फटने से सिल्हबुधाणी और स्वाड़ गांवों में तबाही मच गई। यहां 5 फुट ब्रिज, एक दुकान, एक सराय और घराट बाढ़ में बह गए। सैकड़ों बीघा कृषि भूमि बर्बाद हो गई। सबसे बड़ा नुकसान मत्स्य पालन को हुआ, जहां दो बड़े फिश फार्म के 10 टैंक बाढ़ की चपेट में आ गए और टनों ट्राउट मछलियां बह गईं।
किन्नौर कैलाश यात्रा हादसा: श्रद्धालुओं की मौत से फैला मातम
प्रदेश में बारिश और भूस्खलन के बीच किन्नौर कैलाश यात्रा भी प्रभावित हुई। मंगलवार को यात्रा के दौरान पत्थर लगने से गाजियाबाद निवासी गौरव की मौत हो गई। इससे पहले भी 4 श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं। यानी अब तक कुल 5 श्रद्धालु इस यात्रा में मौत के शिकार हो चुके हैं।
स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने यात्रा पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। जो श्रद्धालु पहले से यात्रा पर निकले हैं, उन्हें मलिंग खट्टा से वापस भेजा जा रहा है। किन्नौर की पहाड़ियों में लगातार भूस्खलन के खतरे को देखते हुए यह कदम श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरी माना जा रहा है।
कुल्लू-पार्वती घाटी में भूस्खलन, महिला की मौत
कुल्लू की पार्वती घाटी के रशोल गांव के पास भूस्खलन हुआ। इसमें नेपाल मूल की महिला दीपा (45) शेड में दब गई और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। महिला अपने पति और भांजे के साथ शेड में रह रही थीं। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश में बारिश और भूस्खलन सिर्फ ढांचागत नुकसान ही नहीं, बल्कि सीधे लोगों की जिंदगी छीन रहे हैं।
सड़कें बंद, बिजली-पानी की आपूर्ति ठप
मंगलवार शाम तक प्रदेश में एक नेशनल हाईवे समेत 357 सड़कें बंद पड़ी रहीं। 872 बिजली ट्रांसफार्मर ठप हो गए और 140 पेयजल योजनाएं प्रभावित हो गईं। शिमला में मंगलवार को कभी तेज धूप और कभी झमाझम बारिश का दौर चलता रहा।
मंडी-कुल्लू एनएच सोमवार रात को फिर बनाला में बंद रहा। धर्मशाला और पालमपुर में भी बारिश का सिलसिला जारी रहा। पांवटा-शिलाई एनएच तिलौरधार के पास भूस्खलन से कुछ देर के लिए अवरुद्ध रहा।
प्रदेश सरकार और प्रशासन की चुनौतियां
प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से लगातार बढ़ते संकट को देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड पर है। राहत और बचाव दल प्रभावित इलाकों में भेजे गए हैं। ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि हिमाचल जैसे पहाड़ी प्रदेशों में बारिश और भूस्खलन की घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही हैं। बढ़ती जनसंख्या और अवैज्ञानिक निर्माण भी इस आपदा को और खतरनाक बना रहे हैं।
निष्कर्ष
प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से तबाही का यह दौर यह साफ दिखाता है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने इंसान कितना असहाय है। कुल्लू, मंडी और किन्नौर में हुई घटनाओं ने हजारों लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है। मकानों और दुकानों के नुकसान से लेकर श्रद्धालुओं की मौत तक—हर खबर दर्द और चिंता से भरी हुई है।
ऐसे हालात में सरकार, प्रशासन और जनता को मिलकर आपदा प्रबंधन और सुरक्षित ढांचे की दिशा में काम करना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके।
