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मारकंडा नदी में भू-कटाव: Massive Threat to Shivlik Colony, 2 दर्जन परिवार in Danger

by Sanjay Gupta
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मारकंडा नदी में भू-कटाव: शिवालिक कॉलोनी में खतरा, 2 दर्जन घर प्रभावित

मारकंडा नदी में भू-कटाव: शिवालिक कॉलोनी में हालात बदतर

तटीयकरण कार्य लटका, 2 दर्जन परिवार हर बरसात में खतरे में

कालाअंब (अंबाला)। कालाअंब स्थित मारकंडा नदी में भू-कटाव की समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। नदी के किनारे बसी शिवालिक कॉलोनी के लोग इस समय हर बरसात के मौसम में डर के साये में जी रहे हैं। नदी का तटीयकरण अब तक न होने के कारण यहां के दर्जनों मकान खतरे के दायरे में आ गए हैं।

स्थानीय लोगों के अनुसार, लगातार बारिश और तेज बहाव के कारण मारकंडा नदी का पानी किनारों को काट रहा है। इससे मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है और कॉलोनी का कुछ हिस्सा नदी में समाने के कगार पर है। कॉलोनी के निवासी पिछले कई वर्षों से इस समस्या को लेकर विभागीय अधिकारियों के दरवाजे खटखटा चुके हैं, लेकिन ठोस समाधान आज तक नहीं निकल पाया है।

रातें जागकर गुजारनी पड़ती हैं बरसात में
रहवासियों का कहना है कि तेज बारिश होते ही मारकंडा नदी में पानी का स्तर अचानक बढ़ जाता है और भू-कटाव की रफ्तार तेज हो जाती है। ऐसे में कई परिवार पूरी रात जागकर ही गुजारते हैं, ताकि किसी भी अनहोनी की स्थिति में समय रहते सुरक्षित स्थान पर जा सकें।

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स्थानीय लोगों में दर्शन सैनी, उपमा धीमान, स्वाति, बसंत लाल, अंजू, ओमप्रकाश, जाबिर अली, देव कुमार, दीपक, पंकज, राममूर्ति और मेनका देवी ने बताया कि लगभग दो दर्जन घर मारकंडा नदी में भू-कटाव की चपेट में हैं। पिछले साल भी बरसात के मौसम में स्थिति बेहद खतरनाक हो गई थी। तब कॉलोनी के लोगों ने आपसी चंदा एकत्र कर करीब दो लाख रुपये से नदी में डंग्गे लगाए थे, लेकिन यह प्रयास भी नाकाफी साबित हुआ।

सरकार को भेजा गया प्रस्ताव, बजट का इंतजार
लोगों का कहना है कि संबंधित विभाग से उन्हें सिर्फ यह जानकारी मिली है कि मारकंडा नदी में भू-कटाव रोकने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया था। यह प्रस्ताव स्वीकृत भी हो चुका है, लेकिन बजट न मिलने के कारण तटीयकरण का काम अधर में लटका है।

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सिंचाई विभाग नारायणगढ़ (अंबाला) की सहायक अभियंता शिखा बंसल ने बताया कि जैसे ही बजट उपलब्ध होगा, इस योजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा। अभी बरसात का मौसम है इसलिए कार्य शुरू नहीं हों सका। मौसम खुलने और नदी का जलस्तर कम होने के बाद कार्य शुरू कर दिया जाएगा।विभाग का दावा है कि तटीयकरण हो जाने पर नदी किनारे रहने वाले परिवारों को काफी हद तक राहत मिलेगी और बरसाती सीजन में होने वाला नुकसान रोका जा सकेगा।

सड़क मार्ग भी प्रभावित
कॉलोनीवासियों ने बताया कि मारकंडा नदी में भू-कटाव की वजह से न केवल मकान खतरे में हैं, बल्कि यहां का मुख्य मार्ग भी प्रभावित हुआ है। बरसात के दिनों में सड़क का एक हिस्सा टूट गया, जिसके कारण लोगों को लंबा चक्कर लगाकर दूसरे रास्तों से आना-जाना पड़ रहा है।

हर साल बढ़ रहा खतरा
स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर जल्द तटीयकरण कार्य शुरू नहीं हुआ तो आने वाले वर्षों में स्थिति और खराब हो सकती है। निचले क्षेत्र के साथ साथ ऊपरी क्षेत्र में भारी बारिश होने पर मारकंडा नदी में भू-कटाव की गति कई गुना बढ़ जाती है, जिससे पूरे कॉलोनी क्षेत्र पर खतरा मंडराने लगता है।

स्थानीय प्रशासन से अपेक्षाएं
लोगों ने जिला प्रशासन और सरकार से अपील की है कि बरसात से पहले बजट जारी कर तटीयकरण का काम शुरू करवाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो वे सामूहिक रूप से धरना-प्रदर्शन करेंगे।

संभावित समाधान
विशेषज्ञों के अनुसार, मारकंडा नदी में भू-कटाव को रोकने के लिए स्थायी बांध (रेवेटमेंट), पक्का तटीयकरण और स्टोन पिचिंग जैसे उपाय आवश्यक हैं। इसके अलावा, बरसात से पहले नदी किनारे मिट्टी कटाव को रोकने के लिए वृक्षारोपण और अस्थायी रेत-बोरे की बैरिकेडिंग भी कारगर हो सकती है।

निष्कर्ष
फिलहाल, शिवालिक कॉलोनी के लोग हर बरसात में अपनी जान-माल की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। जब तक मारकंडा नदी में भू-कटाव पर स्थायी रोकथाम के लिए कार्य नहीं किया जाता, तब तक खतरा टलने वाला नहीं है। सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे इस गंभीर समस्या का जल्द समाधान निकालकर लोगों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करें।

सारांश
कालाअंब स्थित मारकंडा नदी में भू-कटाव की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। शिवालिक कॉलोनी के लगभग दो दर्जन मकान और मुख्य मार्ग नदी के तेज बहाव से खतरे में हैं। बरसात के दिनों में पानी का स्तर बढ़ने से मिट्टी कटाव की गति तेज हो जाती है, जिसके कारण लोग पूरी रात जागकर अपनी सुरक्षा करते हैं।

स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले साल आपसी चंदे से अस्थायी डंग्गे लगाए गए थे, लेकिन वह नाकाफी रहे। विभाग द्वारा तटीयकरण का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया और स्वीकृत भी हुआ है, मगर बजट न मिलने से काम अधर में लटका है। सिंचाई विभाग का कहना है कि बजट मिलते ही तटीयकरण शुरू होगा, जिससे लोगों को राहत मिलेगी।

विशेषज्ञों के अनुसार, स्थायी बांध, स्टोन पिचिंग और वृक्षारोपण जैसे उपाय मारकंडा नदी में भू-कटाव रोकने के लिए जरूरी हैं। फिलहाल, स्थानीय लोग प्रशासन से तटीयकरण का कार्य शीघ्र शुरू करने की मांग कर रहे हैं, ताकि हर बरसात में जान-माल को होने वाले खतरे से बचा जा सके।

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