खुशियों का घर: बेसहारों का सहारा बनकर चमकेगा कोटड़ी का सपना
पांवटा साहिब (सिरमौर), 11 अगस्त। आज कोटड़ी गाँव में मेरे गाँव मेरा देश — एक सहारा संस्था के चौथे स्थापना दिवस के अवसर पर खुशियों का घर का भूमि पूजन संपन्न हुआ। इस भव्य लेकिन मानवता से जुड़ी पहल का उद्देश्य अनाथ, वृद्ध और असहाय लोगों को स्थायी आश्रय, सम्मान और भोजन उपलब्ध कराना है। भूमि पूजन के शुभ मुहूर्त में महंत बाबा स्वरूप नाथ और धर्म नाथ जी ने विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया और इस पुण्य कार्य का विधिवत शुभारम्भ किया।
भूमि पूजन के मौके पर संस्था के निदेशक डॉ. अनुराग गुप्ता तथा अध्यक्ष पुष्पा खंडूजा ने उपस्थित जनसमूह को बताया कि खुशियों का घर केवल एक ईंट-पत्थर का निर्माण नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के लिए एक नया जीवन आरंभ करने का केंद्र होगा जो मौजूदा समाज में ठोकर खाकर कही के कहीं फंस गए हैं। यहाँ न केवल निशुल्क आवास और खानपान की सुविधा दी जाएगी, बल्कि निवासियों को सामाजिक, मानसिक और शारीरिक सहारा भी मिल सकेगा।
समारोह में कोटड़ी ब्यास ग्राम पंचायत प्रधान सुरेश कुमार, संस्था के संरक्षक धर्मेंद्र शर्मा, अशोकेंद्र कश्यप, नीरज बंसल, गिरिश कांत, संजीव कुमार, तरुण खन्ना, दुर्गेश गर्ग, हरीश कुमार, गुरिंदर चौधरी, अमित, शिवानी शर्मा, समाजसेवी श्याम लाल पुंडीर व मुकेश रमौल सहित कई स्थानीय गणमान्य लोग मौजूद रहे। सभी ने इस पहल को शुभ और प्रशंसनीय बताते हुए संस्था को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
“खुशियों का घर” — क्या मिलेगा और कैसे मिलेगा
खुशियों का घर में रहने वालों के लिए निशुल्क आवास और रोज़मर्रा के उपयोग की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी। साथ ही, मेडिकल चेक-अप, पोषणयुक्त आहार, और मानसिक स्वास्थ्य के लिए परामर्श सुविधाएँ भी दी जाएँगी। संस्था का उद्देश्य है कि यहाँ रहने वाले लोग सम्मान के साथ और गरिमा से जीवन बिता सकें। स्थानीय स्वयंसेवकों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर संचालन की योजना बनाई जा रही है ताकि प्रोजेक्ट स्थायी और पारदर्शी तरीके से चले।
सामुदायिक सहभागिता और अपील
अध्यक्ष पुष्पा खंडूजा ने कहा, “यह केंद्र तभी सफल होगा जब स्थानीय लोग, प्रशासन और सामाजिक संस्थाएँ इसकी मजबूती में हाथ जोड़ें।” इसी संदेश के साथ संस्था ने स्थानीय निवासियों से आर्थिक, सामुदायिक और मनोवैज्ञानिक सहयोग की विशेष अपील की। इसके अलावा योजना में युवाओं के लिए स्वयंसेवी कार्यक्रम, हुनर प्रशिक्षण और सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी शामिल होंगी ताकि निवासियों का सामाजिक पुनर्स्थापन आसान हो सके।
परियोजना के चरण और समय-सीमा
संस्था ने बताया कि खुशियों का घर का निर्माण चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा — पहले आधारभूत संरचनाएँ, फिर आवासीय ब्लॉक, और बाद में चिकित्सा तथा सामुदायिक सुविधाएँ। परियोजना के पहले चरण का निश्चित लक्ष्य अगले वर्ष के अंत तक कुछ आवासीय इकाइयों को तैयार करना है। निर्माण के लिए आवश्यक फंडिंग, स्थानीय सामग्री और अनुदान-प्रणालियों का उपयोग किया जाएगा।
कैसे सहयोग करें और आगे की शर्तें
संस्था ने लोगों से कहा है कि वे इस नेक काम में शामिल होकर दान, स्वयंसेवा या सामग्री सहायता कर सकते हैं। डॉ. अनुराग गुप्ता ने बताया कि निर्माण कार्य के लिए धनराशि और स्थानीय सामग्री की आवश्यकता होगी। इच्छुक लोग संस्था के कार्यालय या आधिकारिक संपर्क माध्यमों पर जाकर स्वयंसेवक रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। संस्था ने पारदर्शिता बनाए रखने हेतु वित्तीय रिपोर्टिंग और फंड उपयोग की नियमित जानकारी देने का वादा भी किया है।
स्थानीय प्रतिक्रिया और सामाजिक प्रभाव
स्थानीय निवासी इस पहल से उत्साहित दिखे और उन्होंने कहा कि खुशियों का घर आने वाले समय में कई परिवारों के लिए सुरक्षा और आत्मसम्मान का स्रोत बन कर उभरेगा। कई बुज़ुर्गों ने कहा कि उन्हें ऐसा आश्रय मिलना चाहिए था जो न केवल भौतिक आवश्यकता पूरी करे बल्कि उन्हें सामाजिक रूप से सम्मान भी दिलाए। युवा स्वयंसेवकों ने भी योजना में भागीदारी का संकल्प लिया।
अंततः, यह परियोजना न केवल बेसहारों के लिए एक आश्रय है, बल्कि यह समाज के लिए यह संदेश भी देती है कि सामूहिक प्रयास से ही सामाजिक समस्यों का समाधान संभव है। आशा है कि खुशियों का घर अपने लक्षित उद्देश्यों को हासिल कर पाएगा और इस क्षेत्र में समान कार्यों के लिए प्रेरणा बनकर उभरेगा।
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