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बिलासपुर के टप्पा दधोग में सड़क सुविधा नहीं, पालकी पर मरीज ले जाने को मजबूर ग्रामीण | घंडीर पंचायत की 25 साल पुरानी मांग

“सड़क सुविधा नहीं होने के कारण पालकी पर मरीज को अस्पताल ले जाते ग्रामीण – टप्पा दधोग, घंडीर, बिलासपुर”

झंडूता उपमंडल का टप्पा दधोग गांव अब भी सड़क सुविधा से वंचित

जंगल और खड्ड के रास्तों से गुजरना ग्रामीणों की मजबूरी

मुख्य सड़क से गांव की दूरी तीन किलोमीटर तक

बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)।
बिलासपुर जिले के उपमंडल झंडूता की ग्राम पंचायत घंडीर के अंतर्गत गांव टप्पा दधोग में आज भी सड़क सुविधा नहीं है। इसका खामियाजा ग्रामीणों को गंभीर हालातों में भुगतना पड़ रहा है। स्थिति इतनी दयनीय है कि मरीजों को पालकी पर उठाकर अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है। 25 वर्षों से ग्रामीण सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं।

ग्रामीणों के अनुसार, मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए या तो उन्हें तीन किलोमीटर लंबा जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है या फिर डेढ़ किलोमीटर खड्ड के खतरनाक रास्ते से गुजरना पड़ता है। बरसात में यह समस्या और भी विकराल रूप ले लेती है। न सिर्फ फिसलन और जलभराव का खतरा बढ़ जाता है, बल्कि पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है।

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गर्भवती महिला को पालकी में उठाकर लाना पड़ा वापस
ताजा मामला 1 अगस्त की रात का है, जब एक गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए गांव के लोगों को रात में संघर्ष करना पड़ा। अस्पताल से 6 अगस्त को जब महिला को वापस घर लाना हुआ, तो खड्ड के रास्ते पालकी का सहारा लेना पड़ा। यह घटना सड़क सुविधा के अभाव में स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में आ रही बाधा को साफ दर्शाती है।

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है, पंचायत से लेकर उपमंडल प्रशासन तक आवाज उठाई, लेकिन घंडीर पंचायत का टप्पा दधोग गांव आज भी सड़क से वंचित है।

प्रशासन से जल्द समाधान की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर सड़क समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल करे। सड़क सुविधा नहीं होने से न सिर्फ मरीजों को, बल्कि विद्यार्थियों और बुजुर्गों को भी भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

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