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हिमाचल हाईकोर्ट का सख्त रुख: ग्रामीण सेवाओं से बचने वाले डॉक्टरों को लगाई फटकार, 40 लाख बॉन्ड पर दो टूक

ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा से बचने की कोशिश कर रहे डॉक्टरों को हिमाचल हाईकोर्ट की फटकार, 40 लाख रुपये के बॉन्ड पर जताई सख्ती

समाचार विस्तार :

शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य सेवाएं देने की शर्त से बचने का प्रयास कर रहे डॉक्टर्स पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने दो साल की ग्रामीण सेवा और 40 लाख रुपये के बॉन्ड को वैध मानते हुए स्पष्ट किया कि इससे पीछे हटना न्यायसंगत नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें याचिकाकर्ता डॉक्टरों को उनकी एमबीबीएस डिग्री और बिना तारीख वाले चेक लौटाने के निर्देश दिए गए थे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि डॉक्टरों की नियुक्तियों में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।

🔍 कोर्ट की टिप्पणी: जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं याचिकाकर्ता
खंडपीठ ने कहा कि पोस्टिंग आदेश 10 अप्रैल को जारी किए गए थे, जबकि याचिकाकर्ता 10 मार्च 2025 को अपने कॉलेजों से मुक्त हो चुके थे। इसके बावजूद इन्होंने 23 अप्रैल को सीधे कोर्ट का रुख किया, जबकि इन्हें पहले स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करना चाहिए था।

कोर्ट ने यह भी कहा कि एक दिन की देरी को लेकर कोर्ट जाना प्रक्रियागत अनुशासन के खिलाफ है। इससे स्पष्ट होता है कि याचिकाकर्ता राज्य में सेवा देने के बजाय कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं।

⚖️ सरकार की दलील: नीति जनहित में, बॉन्ड वैध
महाधिवक्ता अनूप रतन ने कोर्ट में कहा कि 49 डॉक्टरों ने 24 जनवरी 2022 को 40 लाख रुपये का बॉन्ड भरा था, जिसमें उन्होंने पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद हिमाचल में दो साल की सेवा देने पर सहमति दी थी। इस अवधि के दौरान उन्हें राज्य सरकार द्वारा वजीफा भी दिया गया।

सरकार ने कहा कि यह नीति राज्य के गरीब और जरूरतमंद लोगों को चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाई गई है। संबंधित डॉक्टर देश के विभिन्न राज्यों—हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार और उत्तराखंड—से हैं।

📅 अगली सुनवाई की तारीख: 4 अगस्त 2025
कोर्ट ने फिलहाल एकल पीठ के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें याचिकाकर्ता डॉक्टरों को राहत दी गई थी। मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त 2025 को होगी।