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हिमाचल में 108 और 102 एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल: न्यूनतम वेतन और श्रम कानूनों के उल्लंघन के खिलाफ उठा विरोध

न्यूनतम वेतन और ओवरटाइम की मांग को लेकर 108-102 एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर, मरीजों की सेवा ठप

समाचार विस्तार :

धर्मशाला/शिमला। हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एंबुलेंस सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों ने बुधवार को सीटू (CITU) के बैनर तले एकदिवसीय हड़ताल कर दी। यह हड़ताल श्रम कानूनों के उल्लंघन और सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन न मिलने के विरोध में की गई। इस दौरान राज्य भर के जिला मुख्यालयों, शिमला स्थित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के प्रबंध निदेशक कार्यालय और सोलन के धर्मपुर में मेडस्वान फाउंडेशन के मुख्य कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया गया।

कर्मचारियों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 108 और 102 एंबुलेंस सेवाओं में कार्यरत EMT (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन), पायलट और कैप्टन वर्ग के कर्मचारियों को 12-12 घंटे की ड्यूटी लेने के बावजूद ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा, उन्हें राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा है।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि मेडस्वान फाउंडेशन और NHM के अधीन काम कर रहे सैकड़ों कर्मचारियों का वर्षों से शोषण किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाते हैं, तो उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, ट्रांसफर कर दिया जाता है या फिर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जाता है।

महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत राम, शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा, कोषाध्यक्ष बालक राम, और अन्य यूनियन नेताओं ने एक सुर में चेतावनी दी कि अगर सरकार और प्रशासन ने जल्द से जल्द समाधान नहीं किया तो आंदोलन और अधिक व्यापक रूप से किया जाएगा।

बुधवार को धर्मशाला में डीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया गया और वहां से अस्पताल तक रोष रैली भी निकाली गई। इस दौरान कर्मचारियों ने जिला प्रशासन के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन सौंपा।

हड़ताल के चलते राज्यभर में एंबुलेंस सेवाएं बाधित रहीं। अस्पतालों में फोन की घंटियां तो बजती रहीं लेकिन 108 और 102 सेवा की कोई एंबुलेंस मरीजों को लेने नहीं पहुंची। IGMC शिमला से पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किए गए मरीजों को निजी वाहनों की सहायता लेनी पड़ी। इससे मरीजों और उनके परिजनों को पूरे दिन काफी परेशानी झेलनी पड़ी।