एफआरए 2006 के तहत हिमाचल में वन भूमि पर रह रहे लोगों को मिलेंगे अधिकार, नवंबर में वितरित होंगे पट्टे
समाचार विस्तार
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार वन भूमि पर लंबे समय से जीवन निर्वाह कर रहे लोगों को वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) 2006 के तहत वन अधिकार पट्टे (Forest Rights Pattas) देने जा रही है। इस प्रक्रिया में पात्र लोगों को खेती, बागवानी और पशुपालन के माध्यम से आजीविका कमाने का अधिकार मिलेगा, लेकिन ये पट्टे बेचने योग्य नहीं होंगे।
सरकार ने जून 2025 से इस प्रक्रिया की शुरुआत करने का निर्णय लिया है, जिसमें ग्राम सभाओं द्वारा दावे आमंत्रित किए जाएंगे और नवंबर 2025 तक पात्र लोगों को अधिकार पत्र वितरित किए जाएंगे।
किन्हें मिलेगा लाभ?
वन अधिकार अधिनियम के तहत वे परिवार पात्र होंगे जो 13 दिसंबर 2005 से पहले कम से कम तीन पीढ़ियों से वन भूमि पर रह रहे हैं और अपनी आजीविका के लिए इस भूमि पर निर्भर हैं।
एफआरए दावों की प्रक्रिया – चरणबद्ध योजना:
जून 2025: ग्राम सभा दावे आमंत्रित करेगी। वन अधिकार समिति, वन व राजस्व अधिकारी दावों का निरीक्षण करेंगे और ग्राम सभा अनुमोदन करेगी।
जुलाई 2025: उपमंडल स्तरीय समिति दावों और नक्शों की समीक्षा कर अपूर्ण दावों को लौटाएगी और सही दावे जिला समिति को भेजेगी।
अगस्त 2025: राज्य स्तरीय समिति द्वारा प्राप्त दावों की जांच होगी। अपूर्ण दावों को निगरानी समिति को भेजा जाएगा।
सितंबर 2025: नए व लंबित दावों की दोबारा जांच कर उन्हें पुनः समिति को भेजा जाएगा।
अक्तूबर 2025: दूसरे चरण के दावों की जांच और अनुमोदन किया जाएगा।
नवंबर 2025: अंतिम समीक्षा और अनुमोदन के बाद वन अधिकार पट्टे वितरित किए जाएंगे।
सरकार का स्पष्ट उद्देश्य:
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य वन भूमि पर अतिक्रमण को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि वास्तविक जीवन निर्वाह करने वाले लोगों को अधिकार देना है। इसके लिए एक समयबद्ध और पारदर्शी प्रक्रिया लागू की गई है।
वन भूमि पर अब मिलेगा वैधानिक हक, नहीं होगी बिक्री:
हालांकि लाभार्थी इन पट्टों का स्वामित्व अधिकार रखेंगे, लेकिन वे इसे बेच नहीं सकेंगे। सरकार का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और वनवासी समुदायों को स्थायी आजीविका और सुरक्षा देना है, जिससे वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।