अक्षय तृतीया पर बाल विवाह के खिलाफ प्रभावशाली नुक्कड़ नाटक का आयोजन, ग्रामीणों ने लिया कुप्रथा खत्म करने का संकल्प
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शहजादपुर, 16 अप्रैल – अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर राजकीय महिला महाविद्यालय, शहजादपुर के महिला प्रकोष्ठ द्वारा गांव बड़ागढ़ में बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति के विरुद्ध एक जागरूकता अभियान के रूप में प्रभावशाली नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समुदाय में बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने के लिए जनचेतना फैलाना और इसके सामाजिक, शारीरिक एवं मानसिक दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करना था।
इस नुक्कड़ नाटक में महाविद्यालय की छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और सजीव अभिनय के माध्यम से यह दर्शाया कि कम उम्र में विवाह से बालिकाओं की शिक्षा बाधित होती है, स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उनका सर्वांगीण विकास प्रभावित होता है। नाटक की सरल भाषा, प्रभावी संवाद और सशक्त संदेश ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया। ग्रामीण जनों ने प्रस्तुति की सराहना की और बाल विवाह जैसी कुप्रथा के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. उमेश भारती ने छात्राओं को प्रेरक व्याख्यान देते हुए कहा कि बाल विवाह न केवल एक सामाजिक अपराध है, बल्कि यह बालिकाओं के उज्जवल भविष्य के लिए भी एक बड़ी बाधा है। उन्होंने छात्राओं से व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर इस कुरीति के विरोध में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।
महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका डॉ. राजकुमारी ने बताया कि इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना संभव है। उन्होंने कहा कि अक्षय तृतीया जैसे पारंपरिक अवसरों पर बाल विवाह की घटनाएं रोकने के लिए सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि महाविद्यालय की छात्राएं सामाजिक बदलाव की अग्रदूत बन रही हैं।
कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्रामवासियों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। डॉ. कश्मीर सिंह, डॉ. रवि बरवाल, और डॉ. नंदिनी मोदगिल की उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक प्रभावशाली बनाया। सभी उपस्थित लोगों ने नाटक के संदेश को अन्य गांवों तक पहुँचाने का संकल्प लिया।
यह आयोजन न केवल एक सशक्त जनजागरूकता अभियान सिद्ध हुआ, बल्कि इससे ग्रामीण समुदाय और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को भी नई दिशा मिली। इस प्रयास से यह स्पष्ट है कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए शैक्षिक संस्थानों और समाज को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।
