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एसीसी फैक्ट्री के प्रदूषण पर एम्स बिलासपुर की बड़ी स्टडी शुरू

प्रदेश सरकार ने एम्स को सौंपी 33 लाख की शोध परियोजना, एक साल तक होगा कार्बन प्रदूषकों और बीमारियों का विश्लेषण

विस्तृत समाचार

बिलासपुर। प्रदेश सरकार ने एसीसी सीमेंट फैक्ट्री से हो रहे प्रदूषण के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के प्रिवेंटिव मेडिसिन विभाग को विशेष शोध परियोजना सौंपी गई है। सरकार ने इस शोध के लिए 33 लाख रुपये का बजट भी मंजूर कर दिया है।

यह अध्ययन एक वर्ष तक चलेगा, जिसमें एम्स के विशेषज्ञ आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों और अत्याधुनिक मशीनों के माध्यम से फैक्ट्री से निकलने वाले कार्बन पार्टिकल्स और अन्य हानिकारक तत्वों की जांच करेंगे। अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि इन प्रदूषकों का स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, विशेष रूप से श्वसन रोग, फेफड़ों की बीमारियां, हृदय संबंधी समस्याएं और अन्य संभावित बीमारियों का गहराई से अध्ययन किया जाएगा।

इस शोध परियोजना के तहत प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर वहां के निवासियों की स्वास्थ्य जांच भी की जाएगी। इस परियोजना की विशेषता यह है कि केवल प्रदूषण का अध्ययन ही नहीं, बल्कि इससे होने वाली बीमारियों के उपचार की दिशा में भी कदम उठाए जाएंगे।

गौरतलब है कि बरमाणा और आसपास की पांच पंचायतों—हरनोड़ा, धौन कोठी, बैरी रजादियां और जमथल—में वर्ष 2000 से 2015 तक 32 मानसिक रूप से कमजोर बच्चों का जन्म हुआ है, जबकि इन परिवारों में इस प्रकार की बीमारियों का कोई पूर्व इतिहास नहीं पाया गया। इन क्षेत्रों में सीने और गुर्दे से संबंधित कई स्वास्थ्य समस्याएं भी सामने आती रही हैं। पूर्व में इस मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच करवाई गई थी और वैज्ञानिकों की टीम बुलाने की सिफारिश की गई थी, लेकिन वह कार्यवाही अधूरी रह गई थी। अब जाकर प्रदेश सरकार ने इस गंभीर मुद्दे पर गंभीरता दिखाई है और एम्स को यह शोध कार्य सौंपा है।

यह शोध न केवल स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ तक पहुंचने का प्रयास करेगा, बल्कि इससे संबंधित ठोस समाधान निकालने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाएगा।