हिमाचल में अस्पतालों में इलाज से पहले 10 रुपये की पर्ची जरूरी, सरकार के फैसले पर विपक्ष का तीखा हमला
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शिमला: हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार जल्द ही प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पर्ची बनवाने पर 10 रुपये का यूजर चार्ज लागू कर सकती है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने सोमवार को सचिवालय में मीडिया से बातचीत करते हुए यह संकेत दिए। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह शुल्क किसी भी अस्पताल में लागू नहीं किया गया है, लेकिन इसकी संभावनाएं प्रबल हैं।
डॉ. शांडिल ने कहा कि लोगों को मुफ्त में दी गई पर्ची को वे अक्सर संभालकर नहीं रखते, जिससे डॉक्टरों को मरीज की पिछली जानकारी समझने में कठिनाई होती है। यदि पर्ची के लिए शुल्क लिया जाएगा तो मरीज पर्ची को संभालकर रखेंगे और इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियां (आरकेएस) इस शुल्क को वसूल सकती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पीजीआई चंडीगढ़ में भी पर्ची बनाने पर 10 रुपये लिए जाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस शुल्क से प्राप्त राशि समिति के माध्यम से ही मरीजों की सुविधाओं पर खर्च की जाएगी, यह पैसा किसी अधिकारी या कर्मचारी की जेब में नहीं जाएगा।
डॉ. शांडिल ने कहा, “अक्सर देखा गया है कि मुफ्त की पर्ची लेने के लिए अस्पतालों के काउंटरों पर भीड़ जमा हो जाती है और कई बार नर्सिंग स्टाफ को भी इन पर्चियों के लिए परेशान किया जाता है। शुल्क निर्धारित होने के बाद यह स्थिति सुधरेगी और फर्जी पर्चियों पर भी अंकुश लगेगा।”
विपक्ष ने सरकार को घेरा
स्वास्थ्य मंत्री के इस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने कांग्रेस सरकार को जनविरोधी करार देते हुए कहा कि एक के बाद एक ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं जिनसे जनता को ही नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले बसों का न्यूनतम किराया 10 रुपये कर दिया और अब इलाज से पहले पर्ची पर भी पैसे लिए जाएंगे।
त्रिलोक कपूर ने कहा, “सरकार के मंत्री तर्क दे रहे हैं कि लोग पर्ची संभालकर नहीं रखते, इसलिए शुल्क लिया जाएगा। यह तर्क हास्यास्पद है। लगता है कि मंत्री अब जनता की संवेदनाओं को समझ नहीं पा रहे हैं, उन्हें सेवानिवृत्ति ले लेनी चाहिए।”
कपूर ने यह भी कहा कि सचिवालय के बाहर दिव्यांगों द्वारा किए जा रहे धरने को भी सरकार नजरअंदाज कर रही है। कई बार प्रशासन और पुलिस की ओर से उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है। ऐसे में सरकार का यह नया फैसला आम आदमी के लिए एक और बोझ साबित होगा।