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हरियाणा में तालाब संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम, मिर्जापुर काठ में हुआ निरीक्षण

तालाब संरक्षण को लेकर हरियाणा सरकार गंभीर, गांव मिर्जापुर काठ में किया निरीक्षण

समाचार विस्तार

नारायणगढ़, 4 अप्रैल: हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीडब्ल्यूडब्ल्यूएमए) के अध्यक्ष (पीएसी) के प्रधान सलाहकार श्री प्रभाकर कुमार वर्मा ने गांव मिर्जापुर काठ के तालाब का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने ग्राम पंचायत एवं स्थानीय लोगों से तालाब के रखरखाव में सुधार और संरक्षण प्रयासों को लेकर चर्चा की।

तालाब संरक्षण की दिशा में अहम पहल

हरियाणा सरकार राज्य के तालाबों को पुनर्जीवित करने और जल-सुरक्षित भविष्य के लिए समुदाय-संचालित संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी दिशा में श्री प्रभाकर कुमार वर्मा ने ग्रामीणों को जल संरक्षण के महत्व से अवगत कराया और तालाबों के संरक्षण हेतु स्थानीय सहभागिता की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने ग्रामीणों से विशेष अवसरों पर तालाबों के किनारे पौधरोपण करने का आग्रह किया:

बेटे की शादी पर बहू के हाथ से वृक्षारोपण

बेटी की शादी पर दामाद के हाथ से वृक्षारोपण

नवजात शिशु के जन्म पर उसके नाम से वृक्षारोपण

जल संरक्षण और पर्यावरण सुधार के प्रयास

वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देशों का हवाला देते हुए बताया कि वर्षा जल संचयन के लिए तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इससे भूजल स्तर में वृद्धि होगी और पर्यावरण हराभरा रहेगा। उन्होंने ग्रामीणों को स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने और अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया।

प्रदेश में 2234 तालाब आदर्श घोषित

उन्होंने जानकारी दी कि अब तक हरियाणा में 1075 तालाबों को आदर्श तालाब के रूप में विकसित किया गया है, जबकि 1159 तालाबों को मनरेगा योजना के तहत पुनर्जीवित किया गया है। इस तरह कुल 2234 तालाबों को आदर्श तालाब घोषित किया गया है। वर्ष 2025-26 में 2200 और तालाबों के जीर्णोद्धार का लक्ष्य रखा गया है।

स्थानीय प्रशासन और पंचायतों की भागीदारी

तालाबों के रखरखाव की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंपी गई है। इस अवसर पर एसडीओ पंचायती राज शिव सांगर, कनिष्ठ अभियंता रोशन लाल, गांव के सरपंच, ग्राम पंचायत सदस्य एवं अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे।

हरियाणा सरकार की यह पहल जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रदेश को जल-सुरक्षित भविष्य की ओर अग्रसर करेगी।