दैनिक जनवार्ता
नाहन (सिरमौर)। केंद्रीय ड्रग्स मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और राज्य दवा नियंत्रक विभाग द्वारा सामूहिक रूप से जोखिम आधारित निरिक्षण (आरबीआई) के तहत देशभर में दवा उद्योगों में सैंपलिंग की जा रही है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश का दवा उद्योग भी अछूता नहीं है। यानी प्रदेश के दवा उद्योगों में भी रूटीन जोखिम आधारित निरीक्षण लगातार जारी है। जानकारी के मुताबिक इस रूटीन जांच के दौरान जो दवाओं के सैंपल लिए जाते हैं, उनमें से यदि कोई गुणवत्ता मानकों (सब स्टैण्डर्ड) पर खरा नहीं उतरता, तो उस दवा को दवा निर्माता उद्योग के नाम सहित सम्बंधित विभाग की वेबसाइट/ पोर्टल पर दर्शाया जा रहा है, लेकिन उसी उद्योग की अन्य दवाओं जिनकी गुणवत्ता मानकों के मुताबिक पाई जाती है, उनको विभाग के पोर्टल पर नहीं दर्शाया जा रहा। इसके चलते गुणवत्ता के निर्धारित मानकों के मुताबिक बनी दवाओं का बाजार भी प्रभावित हो रहा है। उपभोक्ता ये समझ लेते हैं कि अमुक उद्योग की सभी दवाओं के सैंपल फेल हैं।
हिमाचल ड्रग्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष राजेश गुप्ता ने बताया कि जिन दवाओं के सैंपल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरते उनको ड्रग कंट्रोलर विभाग अपनी आधिकारिक वेबसाइट या पोर्टल पर तो दर्शा रहा है, लेकिन जो दवाएं मानकों पर खरी पाई जाती हैं उनको पोर्टल पर नहीं दर्शाया जा रहा। इससे निर्माता उद्योग की अन्य गुणवत्तापूर्ण दवाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। लिहाजा, एचडीएमए विभाग से मांग करता है कि जो दवाएं गुणवतापूर्ण है उनको भी पोर्टल पर दर्शाया जाये, ताकि उपभोक्ता बाजार में फैली भ्रान्तियों को दूर किया जा सके।
बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार नकली और निम्न गुणवत्ता वाली दवाओं के खिलाफ व्यापक अभियान चला रही हैं। इसमें सेंट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन (सीडीएससीओ) और स्टेट ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी की संयुक्त टीम जोखिम आधारित निरीक्षण (आरबीआई) के तहत दवाओं के नमूने लेती है और जांच के लिए प्रयोगशाला भेजती है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2023 – 24 के दौरान देशभर से कुल 1,06,150 दवाओं के नमूनों (सैंपल्स) की गुणवत्ता जांच की गई। इनमें से 2988 दवाएं गुणवत्ता मानकों की कसौटी पर खरी नहीं पाई गई और 282 दवाएं नकली पाई गई। सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि नकली दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण से सम्बंधित 604 मामलों में अभियोग चलाए जा रहे हैं। ये सभी जानकारी ड्रग कंट्रोलर भारत सरकार (डीसीजीआई) की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई है, लेकिन जो दवाएं सैंपलिंग के दौरान गुणवत्ता मानकों पर खरी उतरी हैं उनकी कोई जानकारी विभाग ने आधिकारिक वेबसाइट पर नहीं दर्शाई। हिमाचल प्रदेश राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने बताया कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) की आधिकारिक वेबसाइट पर नकली और सब स्टैण्डर्ड दवाओं की सूची ही दर्शाने का प्रावधान किया गया है। इसमें स्टैण्डर्ड दवाओं को नहीं दर्शाया जाता।
HP News : प्रदेश में बन रही गुणवत्तापूर्ण दवाओं की सूची भी दर्शाएं विभाग, एचडीएमए ने की मांग
