संपादकीय : अंतर्राष्ट्रीय रेणुकाजी मेले की प्राचीन परम्परा एक ऐतिहासिक धरोहर

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संपादकीय
नाहन (सिरमौर)। जिला सिरमौर के अंतर्राष्ट्रीय रेणुकाजी मेले का समापन कार्तिक मास पूर्णिमा यानि 15 नवंबर दिन शुक्रवार को विधिवत हो गया। परम्परा के मुताबिक प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खु ने इस मेले की शुरुआत की, वहीं राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इसका विधिवत समापन किया। इसके साथ ही देवताओं की विदाई हुई और पांच दिन भगवान परशुराम ने माता रेणुका के पास रहने के बाद कार्तिक पूर्णिमा को माँ से अगले वर्ष फिर मिलने आने का वादा करते हुए विदाई ली। इस अनूठी माँ और पुत्र के मिलन की परम्परा को सिरमौर की जनता सदियों से निभाती आ रही है। पौराणिक कथाओं और मान्यता के मुताबिक भगवान परशुराम अपनी माता रेणुका से मिलने वर्ष में एक बार मिलने आते हैं। ये परम्परा कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रारम्भ होती है, जो पांच दिवस पश्चात कार्तिक पूर्णिमा को संपन्न होती है। इस दौरान क्षेत्रीय देवताओं को भी आमंत्रित किया जाता है। सभी आमंत्रित देवता अपनी अपनी देव पालकियों में सवार होकर रेणुकाजी पहुँचते हैं, जहाँ राजपरिवार के लोग उनका स्वागत सत्कार करते हैं। इस परम्परा को मुख्यमंत्री आगे बढ़ाते हुए मेले की शुरुआत करते हैं और राज्यपाल विधिवत समापन करते हैं।

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