दैनिक जनवार्ता
शिमला। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायलय ने मुख्य संसदीय सचिव की नियुक्तियों को असंविधानिक बताते हुए बुधवार को एक अहम और बड़ा फैसला सुनाया है। साथ ही सीपीएस कानून को भी रद्द कर दिया है। इसके अलावा मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) को दी जाने वाली सभी सुविधाओं को भी समाप्त कर दिया गया है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के छह सीपीएस अब बतौर विधायक ही कार्य करेंगे और उन्हें विधायक को मिलने वाली सुविधाएं ही दी जाएंगी। बताया जा रहा है कि कोर्ट में तीन अलग अलग याचिकाएं दाखिल की गई थी। इन याचिकाओं में मूल प्रश्न 2006 में बनाया गया हिमाचल प्रदेश का कानून है, जिसके तहत पूर्व में भाजपा सरकार ने विधायकों को सीपीएस नियुक्त किया था और अब कांग्रेस सरकार ने छह विधायकों को सीपीएस नियुक्त किया है। जानकारी के मुताबिक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किये गए संशोधन के अनुसार राज्य के विधायकों की कुल संख्या के 15 फिसदी से ज्यादा मंत्री नहीं नियुक्त किये जा सकते। प्रदेश में कुल 68 विधायक हैं, इसलिए यहां 12 मंत्री ही नियुक्त किये जा सकते हैं।
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2024-11-13
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