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Himachal News : विद्युत दरों में वृद्धि से उद्योग जगत प्रभावित, औद्योगिक पलायन में आएगी तेजी

कालाअंब (सिरमौर)। प्रदेश सरकार द्वारा असाधारण रूप से उद्योगों की बिजली दरों में वृद्धि से उद्योग जगत को काफी बड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि एक अप्रैल 2024 से प्रभावी विद्युत दर वृद्धि 50 किलोवाट से कम विद्युत भार वाले उद्योगों को छोड़कर बाकी सभी श्रेणी के उद्योगों की एक रुपया प्रति यूनिट की गई है, जबकि इससे पहले कभी इतनी वृद्धि नहीं की गई। ये प्रदेश की विद्युत दरों में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि बताई जा रही है। इससे उद्योग जगत की रीढ़ टूट जायेगी। बता दें कि प्रदेश में उद्योग मात्र एक सस्ती बिजली मिलने की वजह से ही टिके हुए हैं। जबकि अन्य राज्यों में यहां से ज्यादा सुविधाएं उद्योगों को मुहैया कराई जा रही हैं। उद्योग पहले ही उन राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं। विद्युत उत्पादक हिमाचल प्रदेश में सरकार ने ये वृद्धि करके विद्युत दरों को हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड के बराबर या उससे भी अधिक पहुंचा दिया है। हालांकि, प्रदेश सरकार ने इस एक रुपए प्रति यूनिट की वृद्धि को सब्सिडी के रूप में उपभोक्ता को लौटाने के लिए घोषणा के समय नियामक आयोग व विद्युत बोर्ड को टैरिफ आदेश में लिखित रूप से कहा गया था, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश सरकार ने होटल और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों की सब्सिडी वापस लेने का निर्णय लिया है। अभी इस मुद्दे पर उद्योगों के लिए अंतिम फैसला आगामी 2 सितंबर को उद्योग मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होने वाली बैठक में लिया जाएगा। प्रदेश में उद्योग जगत पहले ही एजीटी, सीजीसीआर जैसे करों के लगाए जाने, उच्च परिवहन लागत और श्रम की उच्च लागत के कारण आर्थिक मंडी के दौर से गुजर रहा है। अब यदि विद्युत दरों पर दी जाने वाली सब्सिडी भी वापस ले ली जायेगी तो आर्थिक संकट से जूझ रहे उद्योगों के लिए ये घातक सिद्ध होगा। कालाअंब चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष दीपन गर्ग, लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष विकास बंसल सहित अन्य उद्यमियों सुरेंद्र जैन, रोहित सूरी, अशोक वशिष्ठ ने बताया कि जिला सिरमौर के पांवटा साहिब और कालाअंब और सोलन के बीबीएन दो प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहां से उद्योगों ने पहले से ही पलायन करना शुरू कर दिया है। दूसरे राज्यों में औद्योगिक विकास के लिए वहां की सरकारें उद्यमियों को बुनियादी सुविधाएं और कई प्रकार की कर में छूट दे रही हैं। इसके विपरित प्रदेश में विद्युत सब्सिडी को समाप्त करने के फैसले से उद्योग जगत बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा। लिहाजा उद्योग जगत प्रदेश सरकार से गुहार लगाता है कि अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे। औद्योगिक निवेश को बढ़ाने और उद्योगों के पलायन को रोकने के लिए प्रयास करें।