दैनिक जनवार्ता
नाहन (सिरमौर)। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से ताल्लुक रखने वाले विशेष समुदाय के एक युवक द्वारा पशु कुर्बानी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड़ करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। बुधवार सुबह तमाम हिंदू संगठन सबसे पहले नाहन के बड़ा चौक में एकत्रित हुए। वहां से लोगों की भीड़ छोटा चौक की ओर रवाना हुई। इस दौरान आरोपी युवक की दुकान के बाहर जमा भीड़ ने नारेबाजी कर खूब हंगामा किया।
इस दौरान उग्र भीड़ ने आरोपी की किराये पर ली दोनों दुकानों के ताले तोड़कर कपड़े बाहर फेंक दिए। इसके बाद भीड़ बड़ा चौक से होते हुए गुन्नूघाट, मालरोड़, चौगान से होते हुए डीसी कार्यालय पहुंची। जहां मौके पर मौजूद पुलिस बल ने भीड़ को कार्यालय परिसर में दाखिल होने से रोक दिया। इस बीच भीड़ ने आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की।
सूचना मिलते ही डीसी सिरमौर सुमित खिमटा और एसपी सिरमौर रमन कुमार मीणा भी कार्यालय के गेट पर पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने लोगों से बातचीत की। इस दौरान हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों ने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और नाहन में किराये की दुकानें लेकर रह रहे सभी प्रवासियों की वैरिफिकेशन कराए जाने की मांग को प्रमुखता से रखा।
पदाधिकारियों ने कहा कि यहां पर बाहरी राज्य के विशेष समुदाय से संबंध रखने वाले लोग नाई की दुकानें चला रहे है। साथ ही अन्य दुकानें भी किराये पर ले रखी हैं, लेकिन किसी भी प्रवासी की पुलिस वैरिफिकेशन नहीं की गई है। उन्होंने कई प्रवासी लोगों पर बिना लाइसेंस के दुकानें चलाने के गंभीर आरोप भी लगाए।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि विशेष समुदाय के युवक द्वारा किया गया ऐसा घोर कृत्य वे सहन नहीं करेंगे। यदि जल्द से जल्द आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो प्रदर्शन जारी रहेगा।
इस बीच एसपी सिरमौर रमन कुमार मीणा ने उपस्थित प्रदर्शकारियों को बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है। वह सहारनपुर पुलिस से संपर्क में हैं। यदि ये घटना सिरमौर में घटित हुई है तो आरोपी के खिलाफ यहीं कार्रवाई होगी। यदि बाहरी राज्य की है तो भी संबंधित पुलिस इस मामले में कार्रवाई अमल में लाएगी।
उधर, हिंदू संगठनों के आह्वान पर बुधवार सुबह से ही नाहन बाजार बंद है। यहां के व्यापार मंडल समेत अन्य कारोबारियों ने भी हिंदू संगठनों को अपना समर्थन दिया है। स्थानीय दुकानदार प्रदर्शन में भी शामिल रहे। बता दें कि स्थानीय व्यापार मंडल भी पहले से ही यहां आकर दुकानें चलाने वाले प्रवासियों का विरोध करता आ रहा है।