Himachal Scholarship Scam : बहुचर्चित छात्रवृति घोटाले की सीबीआई जांच पूरी, 👉 जानें पूरा मामला

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दैनिक जनवार्ता
शिमला। प्रदेश के बहुचर्चित 181 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई की जांच पूरी हो गई है। शुक्रवार को सीबीआई ने 20 संस्थानों, उनके संचालकों, शिक्षा विभाग, बैंक अधिकारियों सहित 105 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। सीबीआई ने जांच में मिले सबूतों के आधार पर अब तक 19 लोगों और उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला के तत्कालीन कर्मचारियों, शैक्षणिक संस्थानों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, निदेशकों और कर्मचारियों और बैंक कर्मियों की प्रदेश और बाहरी राज्यों से कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।

बता दें कि वर्ष 2013 से 2017 के बीच हुए छात्रवृति घोटाले को लेकर प्रदेश सरकार के आग्रह पर वर्ष 2019 में सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। उच्च न्यायालय ने भी तत्काल मामले की जांच की निगरानी की और समय-समय पर मामले से संबंधित रिपोर्ट तलब की गई।

क्या था पूरा मामला 👉 जानें यहां

भारत सरकार की ओर से अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों की मदद के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई थी जिसमें अधिकारियों ने बड़े स्तर पर घोटाला किया। छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने वाले पोर्टल में कई खामियां मिलीं। इन खामियों का लाभ लेते हुए निजी शैक्षणिक संस्थानों ने फर्जीवाड़े को अंजाम दिया और सरकारी धनराशि हड़पने के लिए विद्यार्थियों के नाम से फर्जी बैंक खाते खोले। वहीं, वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक शिक्षा विभाग ने भी छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनिटरिंग नहीं की।

दूसरी ओर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी शिकंजा कसा है। कई आरोपियों की संपत्तियां अटैच की गईं हैं। जानकारी के मुताबिक अब तक करीब 10.67 करोड़ की संपत्ति अटैच की जा चुकी है। इसमें 14 बैंक खातों में जमा रकम भी शामिल है। सीबीआई की ओर से दर्ज एक एफआईआर के आधार पर ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई अमल में ला रही है।

जांच में पता चला कि इस मामले में हर स्तर पर अनियमितताएं बरती गईं। आपसी मिलीभगत से निजी संस्थानों को पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर छात्रवृत्ति के लिए बजट जारी हुआ।

👉 ऐसे हुआ था खुलासा

तत्कालीन सरकार को शिकायत मिली कि जनजातीय क्षेत्र लाहौल-स्पीति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिली। इसके बाद शिक्षा विभाग ने जब अपने स्तर पर जांच की तो बड़े पैमाने पर खामियां पाई गईं। लिहाजा, मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके बाद सीबीआई ने मई 2019 में आईपीसी की धारा 409, 419, 465, 466 और 471 के तहत मामला दर्ज करके जांच शुरू की थी। ये जांच अब मुकम्मल हुई है।

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