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HP News : संजीव अत्री ने बढ़ाया हिमाचल का मान, हैदराबाद में मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

दैनिक जनवार्ता न्यूज
नाहन (सिरमौर)। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय टोकियो के प्रधानाचार्य संजीव अत्री ने एक उपलब्धि और हासिल करके देश में जिला सिरमौर और सूबे का नाम रोशन किया है।

कृषि मंत्रालय भारत सरकार की ओर से उनकी लघु फिल्म सौंधी धरती मीठा गुड़ को राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं विस्तार प्रबंधन संस्थान हैदराबाद में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। कृषि मंत्रालय के मुख्य सचिव फैयाज अहमद किदवई ने संजीव अत्री को यह पुरस्कार देकर पुरस्कृत किया है। संजीव अत्री को पुरस्कार स्वरूप प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और 50,000 रुपए भेंट किए गए।

विदित रहे कि 400 फिल्मों में से 134 चयनित फिल्मों को प्रतियोगिता की श्रेणी में रखकर उसमें से 3 फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया है। कृषि और कृषि उत्पादों की श्रृंखला पर बनी फिल्मों को यह पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। संजीव अत्री की फिल्म सौंधी धरती मीठा गुड़ भारतीय पारंपरिक मिठाई गुड़ की पारंपरिकता, इतिहास और तकनीक के साथ गुड़ की प्राथमिक स्वरूप फसलों जैसे गन्ना, खजूर और ताड़ी इत्यादि के बारे में वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करती है।

फिल्म में गुड़ के स्वास्थ्यवर्धक गुणों, वर्तमान में गुड़ व गन्ना उत्पादकों की कठिनाइयों, आर्थिक स्थिति और सरकारी नीतियों का उल्लेख है। फिल्म की पटकथा स्वयं लिखने के साथ साथ निर्देशन भी संजीव अत्री ने किया है।

संजीव अत्री ने अभी तक 16 शैक्षणिक फिल्मों का निर्माण व निर्देशन किया है। यह सभी फिल्में उन्होंने दूरदर्शन और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के लिए बनाई हैं।

इतना ही नहीं उन्होंने अपने विद्यार्थियों को शैक्षणिक फिल्म निर्माण की विद्या भी सिखाई है। कई विद्यालयों में बाल फिल्म क्लबों की स्थापना की।

पिछले 25 वर्षों में उन्होंने विद्यालयों में 18 शैक्षणिक फिल्म उत्सवों का आयोजन किया।
अत्री सिनेमा को शिक्षण व शिक्षा का सबसे सशक्त माध्यम मानते हैं। उन्होंने नौरंगाबाद विद्यालय में भी एक मिनी सिनेमाघर स्थापित कर यहां विद्यार्थियों की संख्या दोगुनी कर दी थी। अत्री ने विद्यार्थियों के लिए 300 शैक्षणिक फिल्मों का संग्रहालय भी बनाया है, जो विभिन्न विषयों के शिक्षण के लिए प्रयोग करते हैं। उनके निर्देशन में उनके छात्रों द्वारा बनाई गई एक फिल्म को भी पहले पुरस्कार मिल चुका है।

संजीव अत्री एक परियोजना पर भी कार्य कर रहे हैं, जिसमें भारतीय सिनेमा को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सहयोगी गतिविधि के रूप में प्रयोग करने की संभावना खोजी जा रही है। अत्री अभी तक पांच बार अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म उत्सवों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनका मानना है कि विद्यार्थियों के लिए उनकी आयु, बुद्धि और आवश्यकताओं के अनुसार सिनेमा निर्माण शिक्षा का एक सशक्त और आधुनिकतम माध्यम बनाया जा सकता है, जिसके लिए वह बाल फिल्म समिति जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर प्रयास कर रहे हैं।