दैनिक जनवार्ता न्यूज
नाहन (सिरमौर)। जिला सिरमौर की बनौर ग्राम पंचायत के खतवाड़ गांव पर खतरा मंडरा गया है। लोगों के खेत-खलियान पहले ही बर्बाद हो चुके हैं, अब घर भी रहने लायक नहीं बचे हैं। यहां रिहायशी घरों के भीतर मोटी दरारें आ चुकी हैं। बावजूद इसके प्रशासन और खनन विभाग कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।
ये आरोप खतवाड़ के ग्रामीणों ने नाहन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान लगाए। इससे पहले ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त सुमित खिमटा से मुलाकात करके गांव की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया।
ग्रामीण अतर सिंह चौहान ने कहा कि गांव में पिछले पांच-छह वर्षों से अवैज्ञानिक खनन और अवैध डंपिंग से पूरा गांव उजड़ रहा है। इसकी शिकायत कई बार जिला प्रशासन, खनन और सरकार को भेजी गई, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है। यहां अवैज्ञानिक खनन और अवैध डंपिंग लगातार जारी है।
आलम ये है कि लोगों के घरों में दरारें आ चुकी हैं। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीणों ने कहा कि इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि लोगों के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है। गांव पिछले तीन दशक से खाई की तरफ खिसकता जा रहा है। गांव की सैकड़ों बीघा जमीन और खेत खलियान भी खाई में समा चुके हैं, जबकि लगभग दो दर्जन मकानों में दरारें आ चुकी हैं। लोगों के घर रहने लायक नहीं रहे। उन्हें डर के साए में जीना पड़ रहा है।
ग्रामीण सतपाल चौहान, संतराम चौहान, रंगीराम नंबरदार, मदन सिंह, नरेश, शेर सिंह, उदयराम और पंकज चौहान ने बताया कि शिकायत करने पर भी संबंधित विभाग कार्रवाई नहीं करते। यहां संबंधित खदानें लगातार नियमों को ताक पर रख कर कार्य कर रही हैं। हरे-भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है।
वन विभाग की भूमि से हजारों बेश कीमती पेड़ काट दिए गए हैं, लेकिन वन विभाग के अधिकारी एक बार भी मौके पर नहीं पहुंचे।
उन्होंने मांग की है कि ग्रामीणों को यहां से सुरक्षित जगह पर बसाया जाए। यदि कोई अनहोनी होती है तो इसकी सीधी जिम्मेदारी खनन विभाग और प्रशासन की होगी। उन्होंने कहा कि यदि इस दिशा में जल्द कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए तो मजबूरन ग्रामीणों को आमरण अनशन व आंदोलन जैसा रास्ता अपनाना पड़ेगा।