मोगीनन्द और सकेती के बीच मारकण्डा नदी पर निर्माणाधीन पुल का काम अंतिम चरण में, मार्च 2024 तक यातायात के लिए बहाल किये जाने की संभावना। क्षेत्रवासियों की दशकों पुरानी मांग हुई पूरी।
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दैनिक जनवार्ता
नाहन (सिरमौर)। मोगीनंद में मारकंडा नदी पर निर्माणाधीन पुल का काम अंतिम चरण में चल रहा है। फिलहाल पुल के दोनों ओर सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। इस पुल का निर्माण लोक निर्माण विभाग कर रहा है। लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस पुल की लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 7.5 मीटर है। पुल के बनने से नागल और सुकेती गांव अंबाला-देहरादून राष्ट्रीय उच्च मार्ग-07 से जुड़ जाएगा। इससे नागल सुकेती से मोगीनंद आने वाले लोगों का सात किलोमीटर अतिरिक्त सफर भी कम होगा।
एशिया का प्रसिद्ध शिवालिक जीवाश्म संग्रहालय भी सुकेती में है। बहरहाल, पर्यटकों को भी यहां पहुंचने में सहूलियत होगी।
इस पुल के जरिए डेढ़ दर्जन उद्योगों को जाने की सुविधा होगी और मोगीनंद से सुकेती का सफर मात्र एक किलोमीटर और मोगीनन्द से नागल का सफर भी केवल डेढ़ किलोमीटर का रह जाएगा।
क्षेत्र के 200 परिवार इस पुल से लाभान्वित होंगे। नागल-सकेती के लोग पिछले चार दशकों से पुल की लगातार मांग करते आ रहे थे। ग्रामीणों को बरसात के दिनों में सबसे अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। नागल सकेती के लोगों के अलावा खेड़ा, कौंथरों, बिक्रमबाग के लोगों को भी इस पुल का लाभ मिलेगा। साथ ही सकेती क्षेत्र में नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की भी संभावनाएं बढ़ गई हैं।
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पुल और सड़क निर्माण का कार्य अंतिम चरण में : आलोक जुनेजा
लोक निर्माण विभाग उपमंडल नाहन के सहायक अभियंता आलोक जुनेजा ने बताया कि मोगीनंद और सुकेती के बीच निर्माणाधीन पुल का कार्य अंतिम चरण में है। लगभग दस करोड़ रुपये के बजट से इसका निर्माण हुआ है। पुल के दोनों तरफ सड़क बनाई जा रही है। आधुनिक तकनीक से निर्मित इस पुल को जल्द ही आवाजाही के लिए बहाल कर दिया जाएगा।
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पुल बनने से सैकड़ों परिवारों को मिलेगा लाभ : इस्लाम मोहम्मद
कालाअंब पंचायत के उप-प्रधान इस्लाम मोहम्मद ने बताया कि मोगीनंद और नागल सुकेती के बीच पुल बनने से सैकड़ों परिवार लाभान्वित होंगे। इसके अलावा एशिया प्रसिद्ध जीवाश्म संग्रहालय में आने वाले पर्यटकों को भी सुविधा होगी। इससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
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दशकों बाद पूरा हुआ पुल निर्माण का सपना : सुभाष चौधरी
कालाअंब निवासी सुभाष चौधरी ने बताया कि करीब चार दशकों बाद नागल सुकेती के ग्रामीणों का पुल निर्माण का सपना पूरा हो रहा है। लिहाजा ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर मारकंडा नदी पार नहीं करनी पड़ेगी।