Home राज्य Sirmaur News : बिजली की बढ़ी दरों में आये बिल, उद्यमी परेशान। विद्युत ड्यूटी शुल्क भी 11 से 19 फीसदी हुआ।

Sirmaur News : बिजली की बढ़ी दरों में आये बिल, उद्यमी परेशान। विद्युत ड्यूटी शुल्क भी 11 से 19 फीसदी हुआ।

by Dainik Janvarta
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सस्ती बिजली के कारण ही प्रदेश में उद्योग टिके हुए हैं, यदि बिजली की दरें इसी तरह बढ़ती रही तो उद्योग करेंगे अन्य राज्यों का रुख।
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दैनिक जनवार्ता
नाहन (सिरमौर)। प्रदेश में कमर्शियल विद्युत दरों में छयासी पैसे प्रति यूनिट की बढ़ौतरी की गई है। प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों को पहले 4.20 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति की जा रही थी। लेकिन वर्तमान समय में 5.06 रुपये की दर से बिजली की आपूर्ति की जा रही है। इससे छोटे और बड़े सभी प्रकार के उद्योगों के विद्युत बिलों में लगभग 20 फीसदी की बढ़ौतरी हो गई है।
इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों की विद्युत ड्यूटी शुल्क भी 11 फीसदी से बढ़ाकर 19 फीसदी कर दिया गया है। करीब तीन माह पहले कालाअंब में औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों के साथ उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की एक बैठक हुई थी। इसमें उद्यमियों ने विद्युत ड्यूटी 11 फीसदी से 19 फीसदी न किये जाने की मांग की थी। उद्योग मंत्री ने विद्युत ड्यूटी न बढ़ाने का आश्वासन भी दिया था। बावज़ूद इसके नवंबर माह से उद्योगों को बढ़ी हुई दरों में विद्युत बिल जारी किए गए हैं।
औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों में लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष संजय सिंगला, विकास बंसल, मनोज गर्ग, रमेश गोयल, चैम्बर ऑफ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष दीपन गर्ग, अनिल कुमार, जेपी शर्मा, देवेंद्र सिंह, सुभाष ने बताया कि नवंबर माह के विद्युत बिलों में विद्युत दरों में 0.86 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ौतरी की गई है, जबकि विद्युत ड्यूटी 11 फीसदी से बढ़ाकर 19 फीसदी कर दी गई है। उन्होंने बताया कि विद्युत दरों में बढ़ौतरी पर तो सरकारों का ध्यान केंद्रित रहता है लेकिन विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता पर कोई सरकार ध्यान नहीं दे रही। कम से कम छोटे उद्योगों को इसमें रियासत देनी चाहिए थी। उद्यमियों ने कहा कि औद्योगिक विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं की जरूरत होती है जो कालाअंब क्षेत्र में शून्य हैं। बढ़ी हुई विद्युत दरों से उत्पादन लागत भी बढ़ गई है। बाजारी प्रतिस्पर्धा में कालाअंब के उद्योग पिछड़ रहे हैं और बन्दी के कगार की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि औद्योगिक विकास न होने से प्रदेश पिछड़ रहा है और अन्य राज्य औद्योगिक विकास के लिए प्रयत्नशील हैं। प्रदेश में संतुलित विद्युत दरों के कारण ही उद्योग टिके हुए थे। उन्होंने मांग की है कि प्रतिमाह जिले के संबंधित अधिकारियों के साथ उद्यमियों की बैठक होनी चाहिए और एक तिमाही बैठक जिला उपायुक्त के साथ निर्धारित की जाए, जिसमें मासिक बैठकों की कार्यवाही पर कितना अमल हुआ इसपर फीडबैक लिया जाए। इसके अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ भी उद्यमियों की एक छमाही बैठक निर्धारित की जाए। लिहाजा यदि यहां के उद्यमियों को सुविधाओं की दरकार इसी तरह बरकरार रही तो उद्योग जल्द ही यहां से पलायन करेंगे।

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