दैनिक जनवार्ता ब्यूरो
कालाअंब/नाहन (सिरमौर)। औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब को विकसित हुए 20 वर्ष हो गए हैं। लेकिन कालाअंब के उद्यमी आज भी बिजली, पानी और सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। बता दें कि वर्ष 2003 में हिमाचल को विशेष औद्योगिक पैकेज तत्कालीन केंद्र सरकार ने दिया था। इसके बाद प्रदेश में औद्योगिक निवेश को गति मिली और क्षेत्र का औद्योगिकीकरण हुआ। बीस वर्ष बीत जाने के बाद भी उद्योग संचालकों को बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। अपनी मांगों के समर्थन में उद्यमियों ने कई बार भाजपा और कांग्रेस की सरकार से गुहार लगाई। कई बार सचिव व मंत्री स्तर पर वार्ता भी हुई, लेकिन ये सब कार्यवाही आश्वासनों तक ही सीमित होकर रह गई। कालाअंब औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख औद्योगिक संगठन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष दीपन गर्ग, सुरेंद्र जैन, पवन सैनी, अशोक कुमार ने बताया कि कालाअंब औद्योगिक क्षेत्र को विकसित हुए 20 वर्ष हो गए हैं। इन बीस वर्षों में औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब की दशा में कोई परिवर्तन या सुधारात्मक कार्य नहीं हो पाया है। परिणामस्वरूप उद्यमियों को मौजूदा हालात में उद्योग चलाने में बहुत सी कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है। बिजली सरंचना में ढांचागत सुधार नहीं हो पाया। इससे पॉवर ट्रिपिंग, वोल्टेज की अस्थिरता और अनावश्यक बिजली के कटों की समस्या से उद्योगों को जूझना पड़ रहा है। इन समस्याओं के चलते उत्पादन प्रभावित हो रहा है और आर्थिक हानि भी झेलनी पड़ रही है। वहीं सड़कों की दशा बहुत दयनीय है। इससे कच्चे व तैयार माल की आवाजाही में परेशानी उठानी पड़ रही है। दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। पूर्व में कई दुर्घटनाएं भी हुई हैं। बरसात के दिनों में जगह जगह से सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिनकी मरम्मत अस्थायी तौर पर की जाती है जो अगली बरसात तक फिर क्षतिग्रस्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि नाहन रोड़ पर स्थित उद्योगों के लिए पीने के पानी की कोई योजना धरातल पर दिखाई नहीं देती। लिहाजा उद्यमियों को पानी भी खरीदना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि बुनियादी सुविधाओं की ओर ध्यान न दिया गया तो वो दिन दूर नहीं जब उद्योग यहां से पलायन कर अन्य राज्यों की ओर रुख कर लेंगे।
उद्यमियों ने प्रदेश सरकार से औद्योगिक क्षेत्र की मूलभूत सुविधाओं को प्राथमिकता से हल करने की मांग की है।
Sirmaur News : 20 वर्ष बाद भी नहीं मिली औ. क्षेत्र कालाअंब को बुनियादी सुविधाएं। उद्यमी परेशान, पलायन बनी मजबूरी।
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