दैनिक जनवार्ता ब्यूरो
नाहन (सिरमौर)। सिरमौर जिले में गिरिपार के हाटी समुदाय को दिया गया आरक्षण सही नहीं है। इसमें बहुत सी वैधानिक और न्यायिक खामियां हैं। हाटी और भाजपा नेता प्रदेश सरकार पर दबाव बनाकर हाटी आरक्षण बिल को जबरन लागू कराने के लिए आतुर हो रहे हैं। ये बातें गुज्जर समाज कल्याण परिषद के अध्यक्ष राजकुमार पोसवाल ने कालाअंब में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि तथाकथित हाटी नेता विनय छिंगटा नाहन में एक प्रेसवार्ता के दौरान ज्ञान दे रहे थे, जबकि पहले उन्हें खुद अध्ययन करना चाहिए कि अनुभाग 366 सजातीय समूह को डीम्ड आरक्षण देती है। किसी उच्च वर्ग को आरक्षण नहीं दिया जाता। हाटी गुज्जरों या अन्य एसटी वर्ग के सजातीय कैसे बने? पोसवाल ने कहा कि गुज्जरों को आरक्षण बैक डोर से नहीं बल्कि क्रिमिनल ट्राइब्स के कारण बाबा भीमराव अंबेडकर और सरदार पटेल के सार्थक प्रयास से सविंधानिक रूप से सन 1950 में मिला था।
बहरहाल, गुज्जर नेताओं ने दो टूक कहा कि यदि बिना सोच विचार के हाटी आरक्षण बिल को प्रदेश में लागू किया जाता है तो वो भी सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने भाजपा सांसद सुरेश कश्यप सहित भाजपा नेता बलदेव तोमर और डॉ. राजीव बिंदल पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों को अपनी हार से सबक लेना चाहिए। दोनों सीटों पर हाटी मुद्दा ही इनकी हार का कारण बना। डॉ. राजीव बिंदल चुनाव नाहन से लड़ेंगे और वोट मांगने गिरिपार जाएंगे क्या? गुज्जर समाज कल्याण परिषद के महासचिव सोमनाथ भाटिया ने कहा कि हाटी आरक्षण बिल को लागू करने के लिए प्रदेश सरकार पर दबाव बनाना सरकार के कार्यों में दखलंदाजी है। प्रदेश सरकार हाटी मुद्दे को लेकर सभी पहलुओं पर समीक्षा कर रही है, जबकि भाजपा नेता दबाव की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं के मुताबिक 1980 के दशक में नौहराधार क्षेत्र में एक समिति का पंजीकरण कराने के उद्देश्य से समिति का नाम हाटी रखा गया था। ये बात कुछ दिन पहले हाटी नेता सुरेंद्र हिंदुस्तानी ने पांवटा साहिब में प्रेस कांफ्रेंस में स्वीकार की थी। गुज्जर समुदाय भी यही बात कहता आ रहा है कि हाटी शब्द आरक्षण की मांग के लिए ईजाद किया गया है, जिसका कोई ऐतिहासिक और सामाजिक अस्तित्व नहीं है। लेकिन भाजपा की केंद्र सरकार ने हाटी आरक्षण बिल को बैक डोर स्वीकृति दी। गुज्जर समुदाय केंद्र और प्रदेश सरकार से मांग करता है कि राजस्व रेकॉर्ड में छेड़छाड़ न करते हुए सेवानिवृत्त न्यायधीशों की अध्यक्षता वाला एक कमीशन बनाया जाए। इस आयोग की देखरेख में सभी तथ्यों का अवलोकन किया जाए। इस दौरान गुज्जर समाज कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष सुभाष चौधरी, यशपाल चौधरी भी मौजूद रहे।
Sirmaur News : हाटी आरक्षण बिल पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता, बैक डोर स्वीकृति स्वीकार नहीं – गुज्जर समाज कल्याण परिषद।
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