Home राज्य हाटी आरक्षण मुद्दे पर गुज्जर समाज की प्रेसवार्ता संपन्न। हाटी आरक्षण पर पुनर्विचार करने की केंद्र सरकार से अपील।

हाटी आरक्षण मुद्दे पर गुज्जर समाज की प्रेसवार्ता संपन्न। हाटी आरक्षण पर पुनर्विचार करने की केंद्र सरकार से अपील।

by Dainik Janvarta
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दैनिक जनवार्ता ब्यूरो
नाहन (सिरमौर) 21 अक्तूबर। सिरमौर गुज्जर समाज कल्याण परिषद की ओर से शनिवार को प्रेसवार्ता आयोजित की गई। गुज्जर समुदाय के पदाधिकारियों ने हाटी आरक्षण के विरोध में अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए कहा कि केंद्र सरकार हाटी आरक्षण बिल पर पुनः विचार करे अन्यथा विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि राजनीतिक षडयंत्र के तहत एक पार्टी विशेष एससी, एसटी और ओबोसी के आरक्षण को खत्म करने की कोशिश कर रही है। उच्च वर्ग को आरक्षण देकर भाजपा की केंद्र सरकार एससी, एसटी और ओबोसी वर्ग के साथ छलावा कर रही है। गुज्जर समाज कल्याण परिषद के महासचिव सोमनाथ भाटिया ने कहा कि जैसे ईडब्ल्यूएस आरक्षण में आठ लाख तक की सालाना आय वाले लोगों को गरीब घोषित करके इन्होंने आरक्षण दिया है, उसी तर्ज पर अब ये एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग में साधन संपन्न उच्च वर्ग को शामिल करके सविंधान का उल्लंघन कर रहे हैं। हाटी का न तो कोई राजस्व विभाग में और न ही किसी ऐतिहासिक दस्तावेज में कोई उल्लेख मिलता है, ऐसे हाटी को जनजाति घोषित किया है जिसका वजूद ही नहीं है। हाटी कहलाने वाले लोग जिस तरह से यूपीएससी, एनईटी, एचपीपीएससी और अन्य बड़े पदों की बात कर रहे हैं, उससे साफ प्रतीत हो रहा है कि ये एसटी में उच्च पद हासिल करने के लिए शामिल होना चाहते हैं। जबकि मौजूदा एसटी वर्ग जीवनयापन के लिए संघर्षरत हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पूर्व विधायक बलदेव तोमर पर निशाना साधते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए ये षड्यंत्र रचा गया लेकिन जीत न सके। गुज्जर नेताओं ने दो टूक कहा कि अगर हाटी आरक्षण बिल को निरस्त नहीं किया गया तो आगामी लोकसभा चुनाव में इसका परिणाम अच्छ नहीं होगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि तथाकथित हाटी मात्र 3 या 4 विधानसभा क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं, जबकि मौजूदा एसटी वर्ग के लोग 40 विधानसभा क्षेत्रों में पाए जाते हैं। लिहाज़ा, कोई भी गलत निर्णय लेने से पहले भाजपा की केंद्र सरकार भली भांति विचार कर ले और हाटी आरक्षण बिल पर पुनर्विचार करे। इस दौरान सिरमौर गुज्जर कल्याण परिषद के सचिव अनिल और मीडिया प्रभारी किंशुक ने भी तथ्यों सहित हाटी आरक्षण को संविधान के प्रावधानों के विपरीत बताया।

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